उड़ीसा में 2 जून 2023 को हुए भीषण हादसे ने लोगों का दिल दहला दिया है। इस हादसे में 260 से अधिक यात्रियों की जानें गई हैं एवं 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। यह हादसा आजादी के बाद हुई सबसे भीषण रेल दुर्घटनाओं में से एक है। भारतीय रेल इतिहास के ये आठ सबसे भीषण रेल दुर्घटनाएं जिन्होंने पूरी मानव जाति को झकझोर कर रख दिया है। लगातार हो रहे वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी सुधारने इन घटनाओं को काफी हद तक रोकने का प्रयास किया है। आने वाले सालों में उच्च तकनीकी अनुप्रयोग, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं बेहतर प्रबंधन इन घटनाओं को रोकने का साक्षी बनेगी। आइए जानते हैं आजादी के बाद रेल इतिहास के 8 सबसे बड़ी रेलवे दुर्घटनाओं के बारे में।
23 दिसंबर 1964
यात्रियों को ले जा रही पंबन धनुष्कोड़ी पैसेंजर ट्रेन रामेश्वरम के चक्रवात में बह गई जिससे उसमें सवार 126 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
6 जून 1981
6 जून 1981 को बिहार में देश की सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना हुई। नदी पुल को पार करते समय एक ट्रेन बागमती नदी में गिर गई जिससे उसमें सवार लगभग 750 से ज्यादा यात्रियों की जाने गई। यह भारतीय रेल इतिहास का सबसे भीषण हादसा जिसमें सबसे अधिक लोगों की जानें गई।
20 अगस्त 1995
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से पुरुषोत्तम एक्सप्रेस टकरा गई। इस दुर्घटना में 305 से अधिक यात्री मारे गए।
पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी सियालदह एक्सप्रेस, पटरी पर से उतरी हुई फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल के तीन डब्बो से टकरा गई जिससे 212 यात्रियों की जान चली गई।
2 अगस्त 1999
बिहार के कटिहार डिवीजन के गैसल स्टेशन पर खड़ी अवध आसाम एक्सप्रेस से ब्रह्मपुत्र मेल के टकरा जाने से भीषण ट्रेन हादसा हुआ। जिसमें 285 यात्री मारे गए बाद में यह संख्या बढ़कर 300 से अधिक हो गई।
9 सितंबर 2002
हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस बिहार के रफीगंज में धावे नदी के ऊपर बने पुल पर बेपटरी हो गई जिससे उसमें सवार 140 से अधिक यात्रियों की जान चली गई।
28 मई 2010
मुंबई को जाने वाली जननेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन पश्चिम बंगाल में झारग्राम के पास पटरी से नीचे उतर गई और फिर एक मालगाड़ी से टकरा गई, इस हादसे में डेढ़ सौ यात्रियों की जान चली गई।
कानपुर से 60 किलोमीटर दूर पुखरायां में इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर गया, इस भीषण रेल हादसे में 152 लोगों की जानें गई वही 270 से अधिक लोग घायल हो गए।