नमस्कार दोस्तों, पढ़ो पढ़ाओ में आपका स्वागत है। नोटेबंदी के बारे में आपने सुना होगा। 2016 की नोटबंदी ने पुरे देश को हिला कर रख दिया था। एक बार फिर RBI ने 2000 के नोट बंद करने का ऐलान किया है। रिज़र्व बैंक ने 2000 के नोट क्यों बंद किया इसके पीछे क्या कारण है आज के इस ब्लॉग में चर्चा करेंगे।
हम जानते है की 8 नवंबर 2016 को भारत में पहली बार नोटेबंदी हुई थी जिसमे जनता को भारी नुकसान भी हुआ था यहाँ तक की बैंको के आगे लम्बी लाइन लगती थी, पुराने नोटों को जमा करने के लिए। और ये कहा जा सकता है की नोटेबंदी के कारण ही कालेधन का मुखौटा सामने आया लेकिन गरीब किसानो और व्यापारियों को भी बहुत नुकसान भी उठाना पड़ा।
हाल ही में रिज़र्व बैंक ने 2000 के नोटों को बंद करने का ऐलान किया है लेकिन यह नोटबंदी पिछले नोटबंदी की तरह नहीं है क्योकि भारतीय अर्थव्यस्था में 2000 के नोट कम ही देखने को मिल रहा है। पिछली नोटबंदी का मुख्य कारण काला धन को सामने लाना था और इस नोटबंदी में 2000 के नोट को अर्थव्यवस्था से बाहर निकालना है क्योकि RBI का कहना है की 2000 के नोटों का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के निर्देश: –
जैसा की हमने देखा की RBI ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमे RBI ने यह निर्णय लिया है की 2000 के नोटों को भारतीय मुद्रा प्रणाली यानि भारतीय अर्थव्यवस्था से बाहर निकला जाये। हालाँकि अभी क़ानूनी रूप से अभी 2000 के नोट समाप्त नहीं है। 30 सितम्बर 2023 तक लेन देन हो सकता है और 30 सितम्बर या उससे पहले 2000 के नोटों को किसी भी बैंक द्वारा या किसी भी बैंक में जमा कर देना है हालाँकि 30 सितम्बर के बाद क्या होगा यह स्पष्ट नहीं है। सवाल यह है की क्या 2000 के नोट पूरी तरह समाप्त हो जायेगा या इसके बदले दूसरा कोई विकल्प ढूंढा जायेगा अभी तक RBI ने इसे स्पष्ट नहीं किया है।
नोट को बदलने के लिए RBI ने नागरिको के लिए एक लिमिट तय किया है की 1 दिन में 2000 के सिर्फ 10 नोट ही बदले जा सकते है यानि की सिर्फ 20000 रुपये एक दिन में बदले जा सकते है।
नोटबंदी का कारण क्या है?
नवंबर 2016 में भारतीय अर्थव्यवस्था के तौर पर भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 24 (1) के तहत 2000 के नोटों को जारी किया था जैसा की हमने देखा की 500 और 1000 के नोटों पर RBI ने क़ानूनी बैधता समाप्त कर दिया था। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था में पैसो की कमी न हो जाये इसी को ध्यान में रखते हुए RBI ने 500 और 2000 के नए नोट जारी किया था क्योकि कम समय में लोगो के पास पैसा पहुँचाना था जल्द से जल्द नए नोट अर्थव्यवस्था में लाना था। इसलिए RBI ने 500 के नोट के साथ – साथ 2000 के नोट जारी किये। उसका कहना था की जहा आप 500 के 4 नोट छापेंगे वहां 2000 के 1 नोट छापकर सही समय पर अर्थव्यवस्था में नोटों का संचार किया जायेगा तथा नोट छापने में भी कम खर्च आएगा। इसी के परिणामस्वरूप RBI ने उस समय 2000 का नोट जारी किया। ताकि जल्द से जल्द लोगो के पास उनके पैसे पहुंच जाये।
इसके बाद 2018 – 19 में RBI ने 2000 के नोटों को छापना पूरी तरह बंद कर दिया था क्योकि जिस उद्देश्य से 2000 का नोट लाया गया था वह उद्देश्य पूरा हो चूका है। इसके अलावा हमारे भारतीय अर्थव्यवस्था में जो अधिकांश नोट है वो मार्च 2017 के पहले छापे गए थे और उन नोटों का जीवनकाल 4 – 5 वर्ष के लिए ही था जो की लगभग समाप्त होने वाला है।
अतः इन्ही कारणों के वजह से रिज़र्व बैंक ने 2000 के नोटों को बंद करने का सही विकल्प चुना है।
क्लीन नोट पालिसी क्या है?
क्लीन नोट पालिसी मुख्य रूप से रिज़र्व बैंक द्वारा अपनाई गई है जिसके माध्यम से रिज़र्व बैंक सुनिश्चित करना चाहता है की हमारी अर्थव्यवस्था में जो ग्राहक मौजूद है उन्हें बेहतर सुरक्षा वाली नोट प्राप्त हो और इसके अलावा उन्हें बेहतर गुणवत्ता वाली नोट प्राप्त हो। इसके माध्यम से रिज़र्व बैंक सुनिश्चित करना चाहता है की इन नोटों के जैसा कोई नकली नोट यानि जाली नोट ना बनाई जा सके तथा हमारी अर्थव्यवस्था में जाली नोट या नकली नोट उपयोग ना हो सके।
RBI का कहना था की 2005 से पुर्व छापे गए नोटों में कोई खास सुरक्षा नहीं था उसको आसानी से कॉपी किया जा सकता था जिसके चलते हमारी अर्थव्यवस्था पर ख़राब असर हो सकता है इसलिए RBI ने उन नोटों को वापस लेने का फैसला किया। लेकिन आप अभी भी 2005 से पूर्व के नोटों का प्रयोग कर सकते है (500 और 1000 को छोड़कर) उनकी क़ानूनी बैधता अभी भी समाप्त नहीं हुई है।
क्या इस नोटबंदी में 2016 जैसी स्थिति देखने को मिल सकती है?
2000 के अधिकांश नोट मार्च 2017 में छापा गया था तक़रीबन 89% नोट 2017 में छापे गए थे और इनका जीवनकाल 4 से 5 साल का ही तय किया गया था इसके बाद अर्थव्यवस्था में चलन से बाहर हो जायेगा।
हमारी अर्थव्यवस्था में 2000 का सबसे ज्यादा नोट मार्च 2018 में देखने को मिला था यह लगभग 6.73 लाख करोड़ रुपये के आस पास था। वर्तमान समय में बात करे तो 31 मार्च 2023 तक हमारी अर्थव्यवस्था में 2000 के नोटों की कुल मात्रा 3.62 लाख करोड़ रुपये के आस – पास है जो की बहुत कम है आपको बता दे की कुल रुपये का लगभग 10.8% है।
इससे समझ में आता है की 2000 के नोटों की कुल मात्रा हमारी अर्थव्यवस्था में बहुत कम रह गई है तो ऐसे में इस बार 2016 वाली स्थिति देखने को नहीं मिलेगी। अभी के समय में बहुत कम लोगो के पास 2000 के नोट होंगे।