नमस्कार दोस्तों, पढ़ो पढ़ाओ में आपका स्वागत है। पिछले कुछ दिनों से आप देख रहे है की टमाटर के दाम आसमान छू रहे है और लगातार सोशल मीडिया पर आपको टमाटर से सम्बंधित meme देखने को मिल रहे है लेकिन सवाल यह है की आखिर क्या कारण कारण है की टमाटर के दाम इतना बढ़ रहे है साथ ही साथ हम ये भी समझेंगे की टमाटर की खेती कब होती है और टमाटर के दाम कम कब होने के अनुमान है। तो आइये जानने की कोशिश करते है।
टमाटर के दाम बढ़ने के क्या कारण है?
टमाटर के दाम बढ़ने के मुख्य कारण अप्रैल – मई महीने में टमाटर के उत्पादन में अचानक से गिरावट देखने को मिली है और अचानक उत्पादन में कमी के कारण अब टमाटर के दाम बढ़ने शुरू हो गए है क्योकि धीरे-धीरे टमाटर का जो स्टॉक (भंडारण) था अब ख़तम हो रहा है। टमाटर के दाम बढ़ने के एक और कारण बताये जा रहे है की बहुत सारे उत्पादकों को टमाटर की फसलें ज्यों की त्यों खेतो में ही छोड़नी पड़ी। जिसके वजह से उनकी फसलें बाजार में नहीं पहुंच पायी।
अब सवाल ये है की उत्पादकों को टमाटर की फसलें खेतो में क्यों छोड़नी पड़ी। इसका मुख्य कारण ये था की अप्रैल – मई के महीने में टमाटर की कीमतें 2.25 – 5 रूपया प्रति किलो था और बेचने के बाद पूंजी की लागत और बाजार ले जाने तक का किराया भी नहीं निकल पा रहा था इसीलिए खेतों में ही छोड़ना पड़ा। साथ ही उत्पादकों ने टमाटर के उत्पादन करना भी छोड़ दिया।
साथ ही यह भी देखा गया की मार्च और अप्रैल के महीने में असामान्य गर्मी में कीटों के हमले जारी थे जिससे की उत्पादन पर प्रभाव पड़ा।
भारत में टमाटर की फसलें कब होती है?
भारत में टमाटर की फसलें दो फसलें देखने को मिलती है।
रबी की फसल – यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र के जुन्नार तालुका और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में उगाई जाती है और यहाँ की फसल मार्च और अगस्त के बीच बाजार में उपलब्ध हो जाती है।
अगस्त के बाद टमाटर बाजार में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र के नासिक और देश के अन्य हिस्सों में खरीफ की आपूर्ति के कारण उपलब्ध होता है।
टमाटर की कीमतें कब कम होंगी
टमाटर की कीमतों में निकट भविष्य में कम होने की संभावना नहीं है क्योंकि उत्पादकों ने टमाटर के उत्पादन को रोक दिया था और जब उत्पादन नहीं होगा तो बाजार में नहीं आएगा। अब अगली फसल मानसून के बाद जब रोपाई शुरू हो जाएगी जो की अगस्त के बाद होगी और जब खरीफ की फसलें बाजार में उतरेंगी।
अगस्त के बाद ही टमाटर की आवक और खुदरा कीमतों में सुधार देखने को मिलेगी।