Hindu dharm एक ऐसा धर्म है जो हजारों सालों से जीवित है एक ऐसा परंपरा जिसने इंडियन सबकॉन्टिनेंट में जन्म लिया और यहां के संस्कृति को बचाये रखा। हिन्दू धर्म सिर्फ एक धर्म ही नहीं बल्कि अधिकतर भारतीयों की पहचान है लेकिन दोस्तों Hinduism एक ऐसा शब्द है जिसे खुद को हिंदू कहने वाले भी अक्सर पूरी तरह नहीं समझते।
आखिर हिन्दू धर्म का सही मतलब है क्या? अपने इस पोस्ट में हम इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे और समझेंगे कि Hindu dharm kya hai, hindu dharm kitna purana hai, hindu dharm ke sansthapak, hindu dharm ki sthapna kab hui के बारे में जानने की कोशिश करेंगे और कैसे हिन्दू धर्म Way of life की तरह शुरू होकर एक रिलिजन के रूप में विकसित होता है।
हिन्दू धर्म कितना पुराना है – Hindu dharm kitna purana hai
हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे पुराने धर्मो में से एक है इसकी शुरुआत कब हुई इसका कोई पूरा-पूरा और सटीक जबाब नहीं मिलता लेकिन ऐसा माना जाता है की 5000 सालों से भी पुराना है आज दुनिया के लगभग हर कोने में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं जिनमें से 90% इंडिया से नाता रखते है। फोल्लोवेर्स के मामले में लगभग 900 मिलियन followers के साथ क्रिश्चियनिटी और इस्लाम के बाद तीसरा सबसे बड़ा रिलिजन है इसी के साथ-साथ संस्कृत भाषा एक महत्वपूर्ण भाषा जुड़ती है जो इसी के साथ इसका विकसित होती है और जिसने हिंदू धर्म के मान्यता को फ़ैलाने में अहम योगदान माना जाता है जो कि प्रोटो इंडियन आर्यन, प्रोटो इंडो यूरोपीयन भाषा भी संस्कृत से विकसित होती है।
हिंदू शब्द की उत्पत्ति – Hindu word origin
हिंदू शब्द उत्तरी भारत में बहने होने वाली नदी indus नदी से हुआ है प्राचीन समय में इस नदी को सिंधु नाम से जाना जाता था लेकिन जब persians का प्रवास भारत में होता है तो इसे हिंदू कहते हैं और यहां के ज़मीन को हिंदुस्तान और रहने वाले लोगों को हिंदू इसका नाम देते हैं इस तरह हिंदू शब्द को पहली बार 6th century BCE में Persians ने प्रयोग किया। उस समय हिन्दू शब्द एक संस्कृति से ज्यादा भौगोलिक स्तर हुआ करता था आगे चलकर इसे हिंदू इसके धार्मिक परंपराएं को वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाने लगा।
धार्मिक विश्वास को परिभाषित करते हुए हिन्दू शब्द का reference पहली बार 7th century CE के एक Chinese text “The Great Tang Dynasty Record of the Western Region में मिलता है लेकिन ऐसा भी माना जाता है कि धार्मिक विश्वास और मान्यताएं को परिभाषित करने के लिए English term Hinduism का उपयोग इतना पुराना भी नहीं है।
कहा जाता है कि इसे पहली बार 1816 – 17 में राजा राममोहन राय में प्रयोग करना शुरू किया इसके बाद 1830 के करीब ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध और खुद को बाकी धार्मिक समूह से अलग दिखाने के लिए भारतीयों ने हिन्दू धर्म को अपना धर्म बताना शुरु कर दिया था। ये वही समय था जब हिंदुस्तानी अपनी पहचान के लिए soul searching कर रहे थे। ये तो बात हुई Hinduism और हिन्दू शब्द के उत्पति की लेकिन शब्द तो बाद में आया था. इससे जुड़े मान्यताएं और धार्मिक परम्पराओं की उत्पति और भी पुराना है।
हिन्दू धर्म की स्थापना कब हुई? – Hindu dharm ki sthapna kab hui
क्रिश्चियन और इस्लाम की तरह हिन्दू धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है और इसका इतिहास लिखित इतिहास से भी पुराना समझा जाता है। हिन्दू अपनी धर्म के लिए सनातन धर्म शब्द उपयोग करते है। जिसका मतलब है ऐसा धर्म जो हमेशा से रहा है। सिंधु घाटी सभ्यता से कुछ ऐसे प्रमाण मिले है जो या तो हिन्दू धर्म का पार्ट है या उसे प्रभावित करते है।
उदाहरण के तौर पर माता देवी को प्रतिनिधित्व करने वाली terracotta figures, स्वास्तिक चिन्ह इत्यादि आज हिन्दू धर्म का एक हिस्सा है इसलिए यह माना जाता है की किसी ना किसी रूप में हिन्दू धर्म उस समय में रहा होगा।
सामूहिक तौर पर हिन्दू धर्म की शुरुआत वैदिक संस्कृति से मानी जाती है क्योंकि इसी समय से हिन्दू के secret text वेदों की उत्पति हुई थी। यानि की हिन्दू धर्म का पहला लिखित साक्ष्य वैदिक काल में मिलता है। यहाँ तक हमने समझा की हिन्दू धर्म का ना तो कोई संस्थापक था और ना ही कोई exact date है इसकी।
Hindu dharm के मूल विचार (Core Beliefs)
हिन्दू धर्म के मान्यताएं अक्सर लोकल, क्षेत्रीय, जाति, एकता संचालित प्रथाएँ से प्रभावित होती है। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी मान्यताएं है जो सभी variations में सामान्य कहे जा सकते है इन्हे ही हम मूल विचार (core beliefs ) कह सकते है। इसमें सबसे पहले आता है एक परमात्मा में विश्वास जिसे हिन्दू धर्म में ब्राह्मण कहा गया है। इसके अलावा कर्म की अवधारणा, आत्मा, पुनर्जन्म, मोक्ष हिन्दू धर्म के center beliefs system का हिस्सा है।
आत्मा: soul या आत्मा की concept कहता है की सभी जीवित प्राणी में आत्मा होती है जो की ईश्वर का ही अंश है।
कर्म: कर्म का concept हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार लोगो के actions ही उनके वर्तमान जीवन और आगे का जीवन का निर्धारण करते है।
हिन्दू धर्म में जीवन के 4 मुख्य उद्देश्य बताये गए है: 1.) धर्म 2.) अर्थ 3.) कर्म 4.) मोक्ष। मोक्ष की प्राप्ति के बाद जन्म का चक्र समाप्त हो जाता है और आत्मा परमात्मा में मिल जाती है। योग भी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
2015 से जब से हर साल 21st June को international yoga day मनाया जाता है। तब से यह और प्रसिद्ध हुआ है और लोगो के इसके फायदे भी नज़र आ रहे है।
हिन्दू धर्म में कितने देवी-देवता है, हिन्दू धर्म के भगवान और secret text
हिन्दू वैसे तो एक परमात्मा में विश्वास करते है। इसी के साथ साथ हिन्दू धर्म में कहा गया है की इसके अलग अलग रूप हो सकते है। हिन्दू धर्म के अनुसार सब कुछ ईश्वर का ही एक अंश है। और भगवान का अवतार मनुष्यों का भला करने के लिए होता है। इसके साथ साथ हिन्दू प्रकृति की पूजा भी करते है। हिन्दू धर्म में पौधा से लेकर जीव जंतु जानवर तक सबकी पूजा होती है।
प्रकृति की पूजा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है जैसे की हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है और हम सभी जानते है की ये पेड़ 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। यानि की हिन्दू धर्म के अनुयायी भी इस पेड़ की महत्त्व को समझते थे। ठीक इसी तरह हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे घर घर में देखने को मिलते है और इनकी पूजा भी होती है। अमला के पेड़ की भी पूजा की जाती है।
कोरोना के समय जब vitamin-c लेने के लिए डॉक्टर ने सलाह दी और vitamin C की मांग बढ़ी तब हम सबने अमला का सेवन और शुरु कर दिया। आयुर्वेद इसे super food कहता है।
इसके अलावा वैदिक काल में जहा इन्द्र को बड़े भगवान की तरह पूजा जाता था वही बाद में त्रिमूर्ति अवधारणा आती है। इसके अनुसार 3 भगवानों के भगवान है: ब्रह्मा (the creator), विष्णु (The Preserver) और शिव (the destroyer) ।
हिन्दू धर्म में स्त्रियों की भी पूजा की जाती है जिन्हे शक्ति माना जाता है। वही दूसरे धर्म में भगवान के स्त्री रूप की पूजा नहीं होती है। इसके अलावा बहुत सारे देवता और देवी है जिन्हे अलग अलग गुण से जोड़ा जाता है। जैसे की भगवान गणेश को विग्नहर्ता कहा गया है। वही देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है।
जिस तरह हिन्दू धर्म का कोई एक संस्थापक नहीं है ठीक उसी तरह holy bible या कुरान के जैसे कोई एक किताब भी हिन्दू धर्म को represent नहीं करती। बल्कि बहुत सारे बुक हिन्दू धर्म को represent करते है। इसमें सबसे पुराना है चार वेद: 1. ऋग्वेद 2.) यजुर्वेद 3.) सामवेद 4.) अथर्ववेद।
हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद शाश्वत सत्य को represent करते है। इसके अलावा उपनिषद्, शिव पुराण, रामायण, महाभारत और भगवत गीता हिन्दू की पवित्र बुक है। बाकी धर्म की तरह हिन्दू के भी अलग अलग संप्रदाय देखने को मिलते है। इसमें 4 महत्वपूर्ण संप्रदाय है। 1. Vaishnavism 2. Shaivism 3. Shaktism 4. Smartism
- Vaishnav: वैष्णव, भगवान विष्णु की पूजा करते है।
- Shaiv: shaiv, भगवान शिव की पूजा करते है।
- Shakti: Shakta, देवी शक्ति की पूजा की जाती है।
- Smartas: Smartas, स्वस्तिक की पूजा करते है जिसमे 5 आत्मा को परमात्मा को माना जाता है।
इसके अलावा संप्रदायों और उप संप्रदायों को हिन्दू धर्म का हिस्सा माना गया है। हिन्दू धर्म में बहुत सारे संप्रदायों का विकास तो हुआ है लेकिन बड़ी बात ये है की इनके विकास में कोई हिंसा देखने को नहीं मिलती है। सभी संप्रदाय एक दूसरे के साथ शांतिपूर्वक रहते आये है।
हिंदू सामाजिक व्यवस्था का विकास (Evolution of Hindu Social Systems)
हिन्दू धर्म में सामाजिक व्यवस्था की नींव वर्ण व्यवस्था से बनती है। वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति ऋग वेद के सूक्तो में मिलता है। इसके अनुसार समाज को 4 वर्ण में बाटा गया है। 1. ब्राह्मण 2. क्षत्रिय 3. वैश्य 4. शूद्र। इसका विभाजन कर्म के आधार पर किया गया है।
- ब्राह्मण: बौद्धिक और आध्यात्मिक गतिविधि में काम करने वालो को ब्राह्मण कहा गया है।
- क्षत्रिय: लोगो को रक्षा करने वालो को क्षत्रिय कहा गया।
- वैश्य: व्यापार करने वालो को वैश्य की श्रेणी में रखा गया है।
- शूद्र: और अकुशल लोगो को शूद्र कहा गया।
लेकिन आगे जाकर ये व्यवस्था बदलने लगा और जन्म के आधार पर विभाजित होने लगा। इसके अलावा बहुत से समूह को वर्ण व्यवस्था से बाहर रखा जाने लगा। उसके बाद वर्ण में भी उप-विभाजन होने लगा और जाति यानि caste system आने लगा। जिसके वजह से सामाजिक व्यवस्था और भी जटिल हो गया। इसके साथ ही निम्न श्रेणी के साथ छुआछूत जैसा व्यवहार किया जाने लगा। इन्ही असमानता के वजह से 6th century BC में बुद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे अन्य धार्मिक परंपरा का प्रचलन में लोकप्रिय होता है। एक समय पर बुद्ध धर्म और जैन धर्म का दबदबा पुरे भारतीय उपमहाद्वीप में होने लग जाता है और हिन्दू धर्म कुछ हद तक कम लोकप्रिय नजर आता है। लेकिन एक बार फिर हिन्दू धर्म को पुनर्जीवित होने का काम शुरू होता है।
हिंदू धर्म में पुनरुत्थान और सुधार (Revival and Reform in Hindu Dharma)
हिन्दू धर्म इतना पुराना धर्म होने के बाद भी हिन्दू धर्म आज तक उतना ही मजबूती के साथ ना सिर्फ खड़ा है बल्कि पहले से और भी लोकप्रिय हो चूका है और लोग भी इसमें आस्था रखने लगे है। इसकी एक बड़ी वजह ये है की समय समय पर हिन्दू धर्म में बदलाव लाया गया और इसे पुनर्जीवित किया जाता रहा। 7-8th century में South Indian लोगो के द्वारा भक्ति आंदोलन किया गया।
आदि शंकराचार्य ने 8th century AD में हिन्दू धर्म को पुनर्गठित और सुधार करने का काम किया। इन्होने Advaita Vedanta को लोकप्रिय किया। जिसके अनुसार सिर्फ ब्राह्मण ही सत्य है और बाकि सारा संसार बस उसकी ही माया है। शंकराचार्य हिंदू दर्शन को लोकप्रिय बनाने के लिए पुरे भारत में भ्रमण करते है। इस दौरान अलग-अलग चिंतको के साथ बातचीत में भाग लेते है। इन्होने भारत में चार धाम की अस्थापना की थी। श्रृंगेरी श्री शारदा पीठम, द्वारका में कलिका पीठ, बद्रिकाश्रम में कलिका पीठ और जगन्नाथ धाम में गोबर्धन पीठ की स्थापना की थी। इन्हे हिन्दू धर्म के 4 धाम कहा जाता है। आदि शंकराचार्य ने वेद, उपनिषद्, पुराण जैसे धार्मिक पाठ पर टीका लिख कर इनके शिक्षाओं को एक बार फिर से जीवित करने का काम किया था।
अदि शंकराचार्य के बाद रामानुज और मध्वाचार्य जैसे संतो ने हिन्दू धर्म को लोकप्रिय बनाने में अपना योगदान दिया। इसके बाद मध्यकाल में जब इस्लाम ने हिन्दू धर्म को चुनौती करना शुरू किया तो निर्गुण और सगुन भक्ति दृश्य ने हिन्दू धर्म को लोकप्रिय बनाये रखा। इनमे रामानंद, कबीर, गुरुनानक, मीराबाई और तुलसीदास जैसे संतो का योगदान रहा है।
अगर आधुनिक अवधि की बात करे तो राजाराम मोहनराय, स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जैसे भक्तो ने हिन्दू धर्म को एक बार फिर से पुनर्जीवित किया।
हिन्दू धर्म में अनेकता में एकता (Unity in Diversity) और hindu dharm mein kitne devi devta hai
हिन्दू धर्म में अनेक देवी देवताओं की अवधारणा है। कुछ प्रमुख ग्रंथो के अनुसार हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता है। बहुत सारे हिन्दू धर्म से जुड़े किताब है। साथ ही अनुष्ठान और विश्वास में भी बहुत ज्यादा विविधता देखने को मिलती है। इन सब के बाद भी हिन्दू धर्म अपने अनुयायी को एकता के सूत्र में बांधे रखता है। क्योंकि हिन्दू धर्म इतना लचीला है की सभी के दृष्टिकोण, विचार को स्वीकार करता है और हिन्दू धर्म में माना गया है की रास्ते सबके अलग अलग हो सकते है लेकिन सबकी मंजिल एक ही है। हिंन्दू धर्म बाकि धर्मो को भी सत्य मानता है। इसके अलावा हिन्दू धर्म हमें ये नहीं सिखाता है की हिन्दू धर्म के अलावा बाकि धर्म ईश्वर प्राप्ति के मार्ग नहीं दिखाते।
हिन्दू धर्म वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर चलता है जिसके अनुसार पूरी दुनिया एक परिवार है। हिन्दू धर्म सबके कल्याण की बात करता है।