Blackhole: अंतरिक्ष की दुनिया में ब्लैक होल हमेशा से एक चौंकाने वाला विषय रहा है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह अपने अंदर बड़ी से बड़ी चीजों को समाहित कर सकता है यहां तक की अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की किरणों को भी अवशोषित कर लेता है और दिखाई नहीं देता है जिसके कारण इसे ब्लैक होल कहते हैं। आईए जानते हैं ब्लैक होल कैसे बनता है तथा क्या यह पृथ्वी जैसे ग्रहों को भी अपने अंदर समाहित कर सकता है?
ब्लैक होल क्या होता है?
ब्लैक होल एक प्रकार का मृत तारा होता है जिसमें नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया नहीं होती और प्रकाश का उत्सर्जन नहीं होता है इसलिए यह कम दृश्यमान होता है।
ब्लैक होल कैसे बनता है?
किसी भी तारें में ऊर्जा का स्रोत नाभिकीय संलयन है जिसमें हाइड्रोजन के अणु मिलकर हीलियम का निर्माण करते हैं एवं ऊष्मा तथा प्रकाश का उत्सर्जन होता है। लेकिन इस बात को यहां समझ जाना जरूरी है की तारों में हाइड्रोजन की मात्रा के सीमित होती है। नाभिकीय संलयन होता है हाइड्रोजन के अणु मिलकर हीलियम एवं प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं। एक समय हाइड्रोजन की मात्रा धीरे-धीरे कम होते जाती है और एक ऐसा समय आता है जब हाइड्रोजन पूरी तरह समाप्त हो जाता है ऐसे में नाभिकीय संलयन नहीं हो पाता है और तारें का घनत्व एवं गुरुत्वाकर्षण बल बढ़ता जाता है और आकार में भी वृद्धि होते जाती है।
यह अपने ऊपर गिरने वाले प्रकाश की करने को अवशोषित कर लेता है एवं प्रवर्तन नहीं हो पाता है। इसका आकार एवं गुरुत्वाकर्षण बल ब्रह्मांड में सबसे ज्यादा होता है यह छोटे-छोटे पिंडों को निगल जाता है एवं बड़े पिंडों को अपनी ओर खींचते रहता है। ब्लैक होल को इस गुण के कारण star eater भी कहा जाता है।
क्या यह पृथ्वी को भी निगल सकता है?
ब्रह्मांड में ब्लैक होल हमेशा से एक रहस्य का विषय रहा है। यह बात सच है कि यह अपने से छोटे पिंडों को निगल लेता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ब्लैक होल का आकार अगर पृथ्वी से बड़ा होता है तो यह पृथ्वी को भी निकल सकता है।