क्यूआर कोड आपको आजकल हर जगह मिल जाएंगे। अस्पतालों में, दुकानों पर, पेट्रोल पंप पर यहां तक की ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन भी क्यूआर के द्वारा पेमेंट एक्सेप्ट कर रही है। आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि सभी पर क्यूआर कोड होता है।
QR code का इस्तेमाल आज हर जगह हो रहा है, पेमेंट करने से लेकर किसी वस्तु के बारे में पूरी जानकारी QR कोड के जरिए काफी आसान हो गया है। ऐसे में क्यूआर का इस्तेमाल जितना आसान और दिलचस्प होता है इसके बनने एवं पहली बार प्रयोग किए जाने की कहानी भी काफी दिलचस्प है।
इस ब्लॉग में हम यह जानेंगे की क्यूआर क्या होता है, QR का उपयोग कहां कहां होता है इसके बनने के पीछे की कहानी क्या है तथा इसके अविष्कारक कौन है?
QR code क्या होता है, full form
पेमेंट करने से लेकर ऑनलाइन किताबें पढ़ने तक हर जगह क्यूआर कोड का इस्तेमाल हो रहा है। अगर किसी वस्तु के बारे में जानकारी प्राप्त करनी है तो उस पर दिए गए क्यूआर कोड स्कैन करने पर उस वस्तु की पूरी जानकारी जैसे बनाने वाली कंपनी का नाम, वस्तु की कीमत, प्रोडक्शन की तारीख एवं खराब होने की अंतिम डेट भी देख सकते हैं। QR code का full form, Quick Response Code होता है यानी अगर आप किसी QR को स्कैन करते हैं तो उसके बारे में तुरंत जानकारी मिल जाती है।
QR कोड का उपयोग
- क्यूआर कोड का उपयोग कंपनियों द्वारा अपने ब्रांड के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए एवं विज्ञापन के लिए किया जाता है।
- गूगल पे, फोन पे, अमेजॉन पे, पेटीएम आदि कंपनियों द्वारा पेमेंट के लिए क्यूआर का उपयोग किया जाता है।
- पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र पर क्यूआर कोड होता है जिसको स्कैन करने पर पूरी जानकारी मिल जाती है।
- किताबों पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन कर ऑनलाइन पढ़ सकते हैं।
- कंपनियों द्वारा ग्राहकों को ऑफर देने के लिए जैसे Promo कोड ऑफर का उपयोग किया जाता है।
क्यूआर का उपयोग इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है।
QR code के बनने का इतिहास
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है ऐसा ही कुछ देखने को मिला जापान में। 1960 के दशक के दौरान जापान में बड़े-बड़े सुपरमार्केट्स ओपन हो रहे थे। इस तरह सुपरमार्केट्स के लेखा-जोखा को हाथ के द्वारा ही लिखकर काम चलाया जा रहा था। किसी प्रोडक्ट के बारे में विस्तार से लिखना पड़ता था ऐसे में एक ऐसी चीज की कमी महसूस की गई जो कम शब्दों में ज्यादा जानकारी दे पाए। इस तरह 1974 में बारकोड को विकसित किया गया इससे चीजों के बारे में जानकारी देना थोड़ा आसान हो गया और इसका उपयोग होने लगा। लेकिन बारकोड की कुछ सीमाएं थी इसमे केवल 20 अंक या अक्षर ही शामिल किए जा सकते थे। फिर लगातार प्रयास के बाद 1994 में Denso wave द्वारा क्यूआर को विकसित किया गया।
पहली बार क्यूआर का उपयोग ऑटोमोबाइल फार्मास्यूटिकल एवं रिटेल इंडस्ट्री में inventory यानी वस्तुओं के भंडारण एवं उनकी सूची बनाने के लिए किया गया। QR की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस पर धूल मिट्टी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता अगर थोड़ा कट-फट भी जाए तो स्कैन करके पूरी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।