Black sea grain deal in hindi: नमस्कार दोस्तों, पढ़ो पढ़ाओ में आपका स्वागत है। दोस्तों रूस ने black sea grain deal से बाहर होने का ऐलान कर दिया है जो की बहुत ही एक महत्वपूर्ण डील थी रूस और उक्रेन के बीच की। आइये समझते है “black sea grain deal क्या है” black sea grain deal किसके – किसके बीच हुई थी इसमें कौन कौन से देश शामिल और इसके टूटने से क्या दुनिया भर में फिर से एक महंगाई देखने को मिलेगी।
Black sea grain deal क्या है?
22 जुलाई 2022 को संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता के माध्यम से रूस और उक्रेन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसमे यह तय किया गया था की उक्रेन से गरीब देशो को जाने वाले गेहू और मक्का के आपूर्ति में रूस बाधा नहीं डालेगा। जिसे Black Sea grain deal के नाम से जाना जाता है।
चुकि हम जानते है की उक्रेन गेहू और मक्के का सबसे बड़ा निर्यातक है और संयुक्त राष्ट्र खाद्य सहायता कार्यक्रम चलाता है जिसमे उक्रेन सबसे बड़ा योगदान देता था लेकिन जब से रूस ने उक्रेन पर आक्रमण किया है तब से उक्रेन के सभी बंदरगाह अवरुद्ध हो गए और सप्लाई चेन भी बाधित हो गया। जिसके कारण गरीब देशों में खाद्य संकट देखने को मिला और उसी समय Black Sea grain deal पर संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से रूस और उक्रेन के बीच एक समझौता हुआ।
Black sea grain deal में किस-किस बात पर समझौता हुआ था?
Black sea grain deal के माध्यम से रूस निरिक्षण के बाद 3 बंदरगाहों से जहाजों को अनुमति देगा। जिसमे ओडेसा, चोरनोमोर्स्क तथा पिवडेनी शामिल है।
इस डील को सफल बनाने के लिए ब्लैक सी में एक सुरक्षित जलमार्ग चुना गया जिसकी लंबाई 310 समुद्री मील है और चौड़ाई 3 समुद्री मील है।
इस समझौते के तहत यूक्रेन ने 32 मिलियन टन मक्के और गेहूं का निर्यात किया और इस समझौते मैं दो बार विस्तार किया गया तुर्की और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता के माध्यम से लेकिन अब रूस इस पर विस्तार करने की बात से नकार है और इस से बाहर हो गया है।
Black sea grain deal रूस सहमत क्यों नहीं है
दरअसल रूस इस समझौते के तमाम हित धारकों पर यह आरोप लगा रहा है की उन्होंने इस समझौते में किए गए वादे पूरे नहीं कर रहे हैं इस समझौते में जो वादा किया गया था यूक्रेन के तरफ से वे केवल गेहूं और मक्का गरीब देशों को भेजेंगे लेकिन इसके जरिए यूरोपीय देशों की बहुत धनी है उनको सप्लाई किया जा रहा है।
दरअसल जब रूस और यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत हुई थी तो तमाम पश्चिमी देशों ने और उस पर प्रतिबंध लगा दिया था और और उस पर लगाए गए सभी प्रतिबंध आर्थिक प्रतिबंध थे आवर इन प्रतिबंधों की वजह से रूस दुनिया के तमाम देशों को अपना व्यापार नहीं कर पा रहा था और उसको स्विफ्ट से भी बाहर कर दिया गया है। और जब इस समझौते पर रूस और यूक्रेन के बीच हस्ताक्षर हुए थे तो पश्चिमी देशों ने यह वादा किया था कि और उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध में ढील दी जाएगी ताकि रूस ऋषि और उर्वरक जैसे वस्तुओं का व्यापार कर सकेगा। लेकिन रूस अब दावा कर रहा है कि पश्चिमी देशों ने और उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध में थोड़ी सी भी ढील नहीं दी है जिसके चलते वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने में असफल है। जिसके चलते रूस की इकोनामी चरमरा गई है।
Black sea grain deal टूटने से गरीब देशो पर क्या असर पड़ेगा?
Black sea grain deal टूटने से गरीब देशों में महंगाई देखने को मिल सकती है क्योंकि हम जानते हैं कि यूक्रेन गेहूं और मक्के का सबसे बड़ा निर्यातक है और जब यूक्रेन से सप्लाई नहीं आएगी तो इन गरीब देशों पर ज्यादा असर देखने को मिलेगा क्योंकि गरीब देश किसी और देश से ज्यादा पैसे देकर उतने सप्लाई देने में असमर्थ हो सकते हैं और जब सप्लाई कम आएगी तो डिमांड बढ़ेगी और डिमांड पड़ेगी तो महंगाई भी बढ़ने के आसार है।