नमस्कार दोस्तों पढ़ो पढ़ाओ में आपका फिर से स्वागत है, दोस्तों हम में से अधिकांश लोगों को पता होता है कि हमारा मूल व्यक्तित्व क्या है व्यक्तित्व का तात्पर्य अपनी पहचान से, अपनी जिंदगी में हम क्या करना चाहते हैं क्या बनना चाहते हैं हमारी योग्यता किस लायक है।
जब हम पैदा होते हैं तो मां बोलती है यह बनाएंगे, डॉक्टर बनाएंगे, इंजीनियर बनाएंगे पिता बोलते हैं सिविल सेवक बनाएंगे लेकिन हम खुद नहीं डिसाइड कर पाते हैं कि हमारी योग्यता क्या है हम क्या बनना चाहते हैं तो आज के इस ब्लॉग में हम इस बात पर चर्चा करेंगे कि अपना मूल व्यक्तित्व को कैसे पहचाने how to know yourself और उस पर कैसे आगे बढ़े।
मूल व्यक्तित्व को पहचानने के दो तरीके हैं
निषेध की प्रक्रिया
इसका मतलब यह है की आपके अंदर जो-जो संभावनाएं हैं वह कोशिश करते जाइये आप फाइनली अपने मूल व्यक्ति तक पहुंच जाएंगे।
अगर इसको हम विस्तार में समझे तो मान लीजिए कि आप को शुरू-शुरू में समझ में नहीं आ रहा है कि हम क्या करें आप इंटरमीडिएट पास कर लिए हैं और यह सोच रहे है कि कला में अपना कैरियर बनाएं, विज्ञान में अपना कैरियर बनाएं, कॉमर्स में अपना कैरियर बनाएं तो सबसे पहले आप ग्रेजुएशन किसी भी स्ट्रीम से कर सकते हैं लेकिन उसके बाद से वहां से आप कोई भी रास्ता एक चुने और आगे बढ़े ऐसा नहीं है की विज्ञान पढ़ने वाला व्यक्ति कविता नहीं लिख सकता है और कविता लिखने वाला व्यक्ति विज्ञान में अपना करियर नहीं बना सकता।
मैं आपको example के तौर पर बताना चाहूंगा की कुमार विश्वास आईआईटी से पास आउट है और इंजीनियरिंग किए हुए हैं और आज देश के जाने-माने कवि है ठीक उसी तरह अंकिता सिंह भी कंप्यूटर में मास्टर की हुई है लेकिन वह कवित्री है तो कहने का मतलब यह है की आप भारी बारी-बारी से ट्राई करते जाइये पहले जिसमे अवसर मिला है उसमे ट्राई करें काम में मन नहीं लग रहा है तो दूसरा ऑप्शन ट्राई करें, तीसरा ऑप्शन ट्राई करें जब तक आपका मन ना माने कि मेरे योग्यता के हिसाब से, मेरे हुनर के हिसाब से, मेरे मन के हिसाब से मैं कर नहीं पा रहा हूं तब तक ऑप्शन ट्राई करते जाइए आपको अंत में आपका डेस्टिनेशन मिल ही जाएगा।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि भारत में 90% लोग अपने मन के हिसाब से काम नहीं कर पाते है पहले ही नौकरी में इतने फंस जाते हैं इतनी जिम्मेदारियां आ जाती है की अपना नौकरी चेंज ही नहीं कर पाते हैं Example के तौर पर कोई लड़का ट्वेल्थ पास किया है इंजीनियरिंग किया किसी कंपनी में नौकरी लग गई नौकरी करने लगे 4 साल नौकरी करने के बाद से उसे लग रहा है कि यार मैं तो इसके लिए बना ही नहीं उसमें वह बात नहीं है जो मेरे में मुझे तो कुछ और ट्राई करना चाहिए और नौकरी में भी मन नहीं लगने लगता है भले ही 10:00 बजे ऑफिस जाता है और 7:00 आ जाता है लेकिन काम में मन नहीं लगता है
आपको भी जब भी ऐसा लगे आप नेक्स्ट ऑप्शन की तलाश करें और इसमें अपना बेस्ट देने की कोशिश करें बहुत सारे लड़के को मैंने देखा कि करोड़ों का पैकेज छोड़कर अमेरिका से भाग आए और गांव में अच्छा खासा Start-up कर रहे हैं और करोड़ों कमा भी रहे हैं और वो अपने काम से संतुष्ट भी हैं।
हमने आपको बताया कि भारत के 90% लोग अपने मूल व्यक्तित्व को नहीं पहचान पाते हैं और जो लोग अभी नौकरी कर रहे है और नौकरी में काम में मन नहीं लग रहा है और इस ब्लॉग को पढ़ रहे है तो आप आप अभी से नौकरी करते हुए दूसरे ऑप्शन की तलाश में लग जाये जिसमे आपका मन लगता हो। मै नौकरी छोड़ने के लिए नहीं कहूंगा क्योकि घर की जिम्मेदारी भी सँभालनी हैं साल भर नौकरी करने के बाद से घर की जिम्मेदारी आ जाती है घर पर से भेजने पड़ते हैं घर कुछ बड़ा काम हुआ तो उसके लिए लोन लेने पड़ते हैं उसके EMI चुकता करना पड़ता है तरह-तरह के खर्चे आ जाते हैं जिसको आदमी बाईपास नहीं कर पाता है और जिम्मेदारी और लोन के चक्कर में अपना मूल व्यक्तित्व को खो देता है तो नौकरी करते जाता है और लोन भरते जाता है इससे सारी जिंदगी नौकरी करने में और लोन भरने में और जिम्मेदारी निभाने में खत्म हो जाती है आप अपने आप को समझ ही नहीं पाते कि आप किस चीज के लिए बने थे और क्या कर रहे हैं।
अभी भी भारत के 90% लोग अपने उस नौकरी के साथ जी रहे हैं जो उनके मूल व्यक्तित्व का हिस्सा है ही नहीं और उन लोगों के लिए एक शेर याद आ रहा है की
सुबह होती है शाम होती है
जिंदगी यूं ही तमाम होती है
आप देखते होंगे की बैंक में जब भी आप जाते हैं तो वहां का Clerk या पासबुक छापने वाला, पैसा निकालने वाला, जमा करने वाला जो भी रहता है वह काम को टालते जाता है आप बोलते हैं पासबुक अपडेट कर दीजिए तो बोलता है कल आना, परसों आना दरअसल उसकी गलती नहीं है। वह एक ही तरह के काम करते-करते इतना बोर हो गया है कि अब उसको इच्छा ही नहीं करता है इसलिए हर काम को टालते जाता है और क्योंकि वह काम उसका मूल व्यक्तित्व से जुड़ा ही नहीं है और आप दूसरे जगह जाते हैं किसी दूसरे बैंक में तो कोई कोई स्टाफ खूब मन से, ढंग से काम करता है मतलब उसको काम करने में मजा आ रहा है पैसा तो सभी को मिलता है लेकिन जिस व्यक्ति का मूल व्यक्तित्व उसके काम से जुड़ा है वह उस काम को अच्छे ढंग से कर पाता है।
जहां व्यक्ति किसी काम में रम (डूब) जाता हो
कुछ ऐसा काम है जिसको करते समय वक्त का पता ही नहीं चलता हो कि कितने दिन देर से काम कर रहे हैं चाहे वह पढ़ाई हो चाहे कोई प्रोफेशन हो चाहे वह नौकरी हो उसमे आपका खूब मन लग रहा है आप उसमे डूबे हुए हैं तो आप समझ जाइए कि आपका वही मूल व्यक्तित्व है।
जैसे मान लीजिए किसी को मजा आता है गाने में गाना गाता रहा, रियाज करता रहा और एक दिन ऐसा गाया सोशल मीडिया पर वायरल हो गया फिर उसको किसी फिल्म स्टार ने बुलाया और गवाया तो सच में पता चला कि उसमें हुनर है, कुछ अलग बात है उसमें तो उस दिन से हो सिंगर बन गया तो उसका मूल व्यक्तित्व उसको मिल गया।
तो वह व्यक्ति अन्य व्यक्तियों की तुलना में अपने जीवन में ज्यादा खुश रहेगा क्योंकि व्यक्तित्व को पहचानना और उसके साथ जीना ही जीवन का मूल सार है और यही चीज जीवन को आनंददायी बनाता है।