केंद्र सरकार ने ई-कॉमर्स कंपनियों को डार्क पैटर्न यूज़ करने के लिए मना किया है तथा इस मामले पर गाइडलाइंस जारी करने के लिए सरकार ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है। इसके अलावा उपभोक्ता मंत्रालय ने डार्क पैटर्न से जुड़ी शिकायतों को अलग से क्लासिफाई किया है। जिससे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के तहत कार्रवाई की जा सके।
Dark pattern
डार्क पैटर्न, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म या अन्य वेबसाइट पर ग्राहकों को बेवकूफ बनाने और उनकी चॉइस को manipulate करने का काम करते हैं। डार्क पैटर्न को डिसेप्टिव पैटर्न भी कहा जाता है।
डाक पैटर्न एक शब्द है जिसमें उस स्थिति के लिए उपयोग किया जाता है जिसमें एप्लीकेशन या वेबसाइट के जरिए यूजर्स को उन चीजों को करने के लिए तैयार किया जाता है जो दरअसल वो करना नहीं चाहते हैं तथा उनकी रूचि उस चीज़ में नहीं है।
साथ ही उस व्यवहार को डिसकरेज किया जाता है जो कंपनियों के हित में ना हो।
सबसे पहले इस शब्द को लंदन के एक यूजर एक्सपीरियंस डिजाइनर हैरी ब्रिग्नुल ने कॉइन किया था।
डार्क पैटर्न के उदाहरण
क्या होता है की कई बार किसी वेबसाइट के ऊपर आने वाले Ads को आप हटाना चाहते हैं लेकिन उस Ads का टाइमिंग बहुत ज्यादा होता है और क्रॉस का बटन भी बहुत छोटा दिखाई देता है एकदम नहीं के बराबर, जिसके कारण आप उस Ads को क्लिक कर लेते हैं और वह ऐड आपके सामने आपके स्क्रीन पर आ जाता है भले ही आप Ads को देखना है या नहीं चाहते हैं इससे यूजर एक्सपीरियंस को प्रभावित किया जाता है।
डार्क पैटर्न के कई तरीकों का इस्तेमाल करके यूजर के व्यवहार को प्रभावित किया जाता है।