58 लाख कमाता हूँ फिर भी अकेला हूँ कोई मुझसे बात करने वाला नहीं है।

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सही सुना है आपने ये सच्चाई है एक लड़के की जो बैंगलोर में रहता है और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। अभी कुछ दिन पहले एक 24 साल के एक लड़के का इंटरनेट पर वायरल नोट मिला जिसमे उसने अपनी जीवन की सच्चाई बयां की है।

नोट में क्या लिखा है?

नोट का title है Feeling saturated in life इसका मतलब हिंदी में ये हुआ की संतृप्त महसूस करना, अकेला महसूस करना।

उन्होंने ने अपने नोट में लिखा है ” मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ मेरी उम्र 24 साल की है और मैं एक फांग कंपनी में काम करता हूँ और बैंगलोर में रहता हूँ। मैं एक अच्छा जीवन व्यतीत करता हूं और मैं 58 LPA के पैकेज पर काम करता हूँ। हालाँकि मैं अपने जीवन में हमेशा अभिभूत और अकेला महसूस करता हूं, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ताकि उसके साथ मैं कुछ टाइम व्यतीत कर सकूँ और मेरे सभी दोस्त अपने जीवन में व्यस्त हैं यहां तक ​​कि मेरा कामकाजी जीवन भी नीरस हो गया है क्योंकि मैं अपने करियर की शुरुआत से एक ही कंपनी के साथ हूं और हर रोज एक ही काम करता हूं और अब मैं नई चुनौतियों और विकास के अवसरों के तरफ नहीं देख पा रहा हूँ।

कृपया सलाह दें कि मुझे अपने जीवन को और दिलचस्प बनाने के लिए क्या करना चाहिए।

(कृपया यह जिम जाने के लिए न कहें क्योंकि मैं पहले से ही जाता हूँ)”

अब आप यह सोचते होंगे की 58 लाख के पैकेज पर काम करता है फिर भी अपने ज़िन्दगी से ख़ुश नहीं है और अकेला महसूस करता है क्योकि सबको इतनी आसानी से इतना बड़ा पैकेज नहीं मिलता है और इतनी काम उम्र में। मैं आपको बताता हूँ ज़िन्दगी में पैसा बहुत कुछ है लेकिन सब कुछ नहीं है। जो आप करना चाहते थे लेकिन आप वो आप नहीं कर रहे है, आप वो कर रहे है जिसमे पैसा ज्यादा है तो कुछ दिन बाद जाकर आपकी ज़िन्दगी नीरस हो जायेगी और आप झेल नहीं पाएंगे। ये मैं अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से बता रहा हूँ।

मैं भी आईटी कंपनी में काम करता हूँ बचपन से मुझे लिखना, पढ़ना और पढ़ाना बहुत पसंद है लेकिन मैं अभी आईटी कंपनी में 10 से 7 वाली जॉब करता हूँ क्योकि मेरी मजबूरी है अभी मैं अपने पैशन को पूरी तरह फॉलो नहीं कर सकता क्योकि मेरे पापा इस दुनिया में नहीं है और मुझे घर के खर्चे चलाने के लिए कामना पड़ता है। लेकिन मैं ऑफिस से आने के बाद मैं जरूर कुछ ना कुछ लिखता हूँ। मैं आज यह ब्लॉग लिख रहा हूँ क्योकि मोबाइल स्क्रॉल करते करते मैंने 24 साल के उस लड़के की नोट मिला।

सफलता क्या है (what is success)?

सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये की सफलता क्या है? क्या ज्यादा पैसा कमा लेना सफलता है, क्या समाज द्वारा थोपा गया सपना को पूरा करना सफलता है? नहीं बिल्कुल नहीं। आजकल के लड़के या लड़कियों से पूछा जाये की बेटा क्या बनना चाहते हो तो वो बोलेगा/बोलेगी डॉक्टर, इंजीनियर या पुलिस बनाना चाहता हूँ। जबकि इस सवाल का जबाब ये नहीं है आप डॉक्टर इंजीनियर बनिए लेकिन अपने इंटरेस्ट अपने पैशन को मत भूलिए।

आज से कोई आपसे पूछे की आप क्या बनाना चाहते हो तो कहना “मैं अपनी ज़िन्दगी में ख़ुश रहना चाहता हूँ ” क्योकि Happiness is success

मैं आपको बताता हूँ कैसे। कभी कभी आप इंटरनेट या अखबार में देखते होंगे की एक IITain लाखो करोड़ो का पैकेज छोड़कर सब्जी का बिज़नेस शुरू करता है और उसमे सफल भी होता है आखिर वो ऐसा क्यों करता है क्योकि उसको रोज ऑफिस जाना कंप्यूटर पर 10 घंटा बैठना और प्रोग्रामिंग करना उसको कुछ दिन बाद बोरिंग लगने लगता है और वो एक दिन वहां से भाग आता है। अगर किसी को प्रोग्रामिंग करने में मज़ा आता है उसका पैशन है तो वो अपनी नौकरी में टिके रह सकता है लेकिन अगर उसका वो पैशन नहीं है तो उसका धीरे धीरे मन उठने लगता है और फिर बाद में आकर अपने पसंद का बिज़नेस शुरू करता है।

उदाहरण लेते है कुमार विश्वास का उन्होंने इंजीनियरिंग छोड़कर कवि बनना स्वीकार किया। उनके पिता उनको इंजीनियर बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने इंजीनियरिंग से मोहभंग को छोड़ा और अपने पैशन को फॉलो किया और आज एक जाने माने कवि है उनको कौन नहीं जनता है।

डॉ विकास दिव्यकीर्ति सर, आईएएस में सफल होने के बाद 9 महीने की नौकरी की होम मिनिस्ट्री में लेकिन 9 महीने बाद उनको पता चला की मैं इसके लिए नहीं बना हूँ वो अपने आप को पढ़ने और पढ़ाने में ज्यादा सहज महसूस कर रहे थे इसलिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दिया और पढ़ाना शुरू कर दिया आज देखिये एजुकेशन की दुनिया के सबसे बड़े इंटरप्रेन्योर (उद्यमी) है और वो सिर्फ उद्यमी नहीं है उनका योगदान समाज को सही दिशा देने में भी बहुत है। उनका वीडियो बूढ़े बच्चे नौजवान सभी अपनी जिंदगी की गुत्थी सुलझाने के लिए देखते है। डॉ विकास दिव्यकीर्ति सर कोचिंग संस्थान चलाते है और उसके साथ साथ मेघावी छात्रों/छात्रों को अस्मिता योजना के तहत मुफ्त शिक्षा और दिल्ली में रहने और खाने की भी सुविधा मुहैया कराते है।

आज के युग में एक नया शब्द उभर कर सामने आया है स्टार्टअप, हालाँकि ये शब्द पहले से प्रचलन में था लेकिन इस सरकार ने स्टार्ट-उप को जो इज़्ज़त दिया है किसी सरकार ने नहीं दिया है। आज पश्चिमी देश यूरोप, अमेरिका क्यों आगे है? क्योंकि वहां पर स्टार्टअप करना एक इज़्ज़त वाला काम माना जाता है और हमारे देश में सरकारी नौकरी करना सबसे इज़्ज़त वाला काम माना जाता है। जबकि सच्चाई ये है की सरकारी नौकरी उतनी है नहीं जितने युवा बेरोजगार है।

इस देश को नौकरी मांगने वालो से ज्यादा नौकरी देने वालो की जरुरत है इसलिए आपका ध्यान थोड़ा स्टार्टअप के तरफ भी ले गया। स्टार्टअप भी इसी टॉपिक के दायरे में आता है और बिना जिंदगी के हर पहलू को समझे आप जिंदगी को नहीं समझ पाएंगे।

कहने का मतलब ये है की आप कुछ भी कर रहे हो नौकरी या बिज़नेस यदि आप समाज को बेहतर बनाने में योगदान दे रहे है तो आपको एक अलग तरह की खुशी मिलेगी और खुशी ही जीवन का मूल उद्देश्य है।

निष्कर्ष

पुरे ब्लॉग का सार ये है की जीवन का मूल उद्देश्य ख़ुश रहना है। यदि आप नौकरी में है और आप कुछ स्टार्टअप करना चाहते है अपना बिज़नेस करना चाहते है तो अचानक से नौकरी छोड़ने का सलाह बिल्कुल नहीं दूंगा क्योंकि घर के खर्चे पहले से तय है और आपको लेके चलना भी है। आप नौकरी करते करते, नौकरी करने के बाद जो टाइम मिले उसमे अपने स्टार्टअप को शुरुवात करे और जब आपका बिज़नेस उस लायक हो जाये की आप नौकरी छोड़ सकते है तो छोड़ दे और अपने बिज़नेस को फुल टाइम देकर एक नयी ऊचाई तक ले जाये।

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