हाल ही में चेन्नई के भौगोलिक संकेतक रजिस्ट्री द्वारा उत्तर प्रदेश के सात विभिन्न उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिया गया है
ये सात उत्पाद है –
अमरोहा ढोलक:
यह प्राकृतिक लकड़ी से बना एक संगीत वाद्ययंत्र है जिसे बनाने के लिए आम, कटहल व सागौन की लकड़ी को प्राथमिकता दी जाती है।
आम और शीशम के पेड़ो की लकड़ी का उपयोग कई आकार के खोखले ब्लॉकों को तराशने में किया जाता है, जिन्हे बाद में उपकरण बनाने के लिए जानवरों की खाल, ज्यादातर बकरी की खाल से फिट किया जाता है।
इस ढोलक को बनाने वाली लगभग 300 छोटी इकाइयाँ है, जो 1000 से अधिक कारीगरों को रोजगार प्रदान करती है।
बागपत होम फर्नीशिंग्स:
बागपत और मेरठ में हथकरघा बुनाई की प्रक्रिया में केवल सूती धागे का उपयोग के लिए जाना जाता है। बागपत और मेरठ पीढ़ियों से अपने विशिष्ट हथकरघा घरेलु साज – सज्जा उत्पाद और सूती धागे से चलने वाले कपड़ो के लिए जाना जाता हैं।
बाराबंकी हथकरघा उत्पाद:
बाराबंकी और इसके आसपास के क्षेत्र में लगभग 50000 बुनकर और 20000 करघे हथकरघा उत्पाद से जुड़े हैं। बाराबंकी क्लस्टर का वार्षिक कारोबार 150 करोड़ रूपया होने का अनुमान हैं।
कालपी हस्तनिर्मित काग़ज़:
कालपी ऐतिहासिक रूप से हस्तनिर्मित काग़ज़ निर्माण का केंद्र रहा हैं। गांधीवादी मुन्नालाल ख़द्दरी ने 1940 के दशक में औपचारिक रूप से इस शिल्प को यहाँ पेश किया था।
कालपी में हस्तनिर्मित काग़ज़ बनाने का एक विशाल क्लस्टर हैं, जिसमे 5000 से अधिक कारीगर जुड़े हैं और लगभग 200 इकाइयाँ शामिल हैं।
महोबा गौरा पत्थर हस्तशिल्प:
यह एक पत्थर शिल्प हैं
यह एक बहुत ही अनोखा और मुलायम पत्थर हैं जिसका वैज्ञानिक नाम ‘पाइरो फ्लाइट स्टोन’ हैं।
गौरा पत्थर शिल्प चमकदार सफ़ेद रंग के पत्थर से बना हैं जो मुख्य रूप से इस क्षेत्र में पाया जाता हैं। इसे कई टुकड़ो में काटा जाता हैं, जिनका उपयोग विभिन्न शिल्प वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता हैं।
मैनपुरी तारकशी:
यह उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की एक लोकप्रिय कला हैं, जो मुख्य रूप से लकड़ी पर पीतल के तार से जड़ाई का काम हैं।
इसका उपयोग मुख्य रूप से खड़ाऊ के लिए किया जाता था क्योकि चमड़े को अशुद्ध माना जाता था।
संभल हॉर्न क्राफ्ट:
इसके लिए कच्चा माल मृत जानवरों से प्राप्त किया जाता हैं
संभल से सींग और हड्डी के उत्पाद पूरी दुनिया में जाने जाते हैं और ये पूरी तरह हाथ से बने हैं।
गौरतलब हैं की भौगोलिक संकेतक जिसको अंग्रेजी में GI टैग कहते हैं, एक लेवल हैं जो उन उत्पादों पर लगाया जाता हैं जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पति होती हैं और जिनमे किसी विशेष स्थान से सम्बंधित विषेशताएँ होती हैं।