आजादी के 75 साल बीत गये, इन बीते हुए समय के साथ देश बहुत आगे बढ़ गया लेकिन पीछे छूट गई वो लड़कियां जो आजादी के 75 साल बाद भी कॉलेज नहीं जा पाई। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार जीतीं।
हरियाणा राज्य के करनाल जिले के देवीपुर ग्राम पंचायत की आज 15 लड़कियां कॉलेज जा रही है। परिवार, गांव, सामाजिक लोक लाज और सरकारी तंत्र से संघर्ष कर कॉलेज जाने का हक को कैसे जीता। आइए जानते हैं इसके बारे में।
क्यों कॉलेज नहीं जा पा रही थी लड़कियां?
हरियाणा के करनाल जिले के देवीपुर ग्राम पंचायत की एक अलग ही कहानी है आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी गांव की लड़कियां कॉलेज नहीं पहुंच पाई।
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार गांव मुख्य सड़क से 4 किलोमीटर अंदर स्थित है और मुख्य सड़क तक आने का कोई साधन नहीं है बीच में पुल पुलिया और सुनसान रास्ते पड़ते हैं। बस ना होने के कारण लोग लड़कियों को कॉलेज भेजने से बचते थे। ट्रांसपोर्ट के लिए उन्हें पैदल 4 किलोमीटर जाना पड़ता था। लड़कियां भी डरती थी गांव के लड़के बदमाशी किया करते थे। लड़कियों के साथ पुल पर हर रोज कोई ना कोई घटना होती। उन पर कीचड़ फेंका जाता था लड़के ईंट मारकर कर चले जाते, गंदे कॉमेंट्स जैसे रोज की बात हो गई थी। गांव तक कोई बस नहीं आती है और गांव से कॉलेज की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। ऐसे में हर कोई लड़कियों को कॉलेज भेजने से डरता था।
लड़कियों के संघर्ष ने रास्ता किया आसान
गांव की लड़की ज्योति कुमारी बताती है की 12वीं करने के बाद उन्हें आगे की पढ़ाई करने का मन था और उन्हें परिवार वालों ने भी सपोर्ट किया। लेकिन वो गांव की पहली ऐसी लड़की थी जिसने कॉलेज में दाखिला लिया था। उनकी उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी। आगे चलकर ज्योति एक टीचर बनी और पूरे गांव में एक मिसाल कायम की।
ज्योति की तरह ही गांव की एक और लड़की नैना ने हिम्मत जुटाई और कॉलेज जाने का फैसला किया। गांव की लड़कियों ने मिलकर करनाल के सीजेएम जसवीर कौर को चिट्ठी लिखा और अगले ही दिन से बस चलवाने का आदेश जारी कर दिया गया।
पुल पर होने वाली घटनाओं को रोकने के लिए पीसीआर का व्यवस्था किया गया है जो पूरे इलाके में दो बार चक्कर लगाता है और उनकी सुरक्षा को निश्चित करता हैं।