Beekeeping in India: साथियों आपने देखा होगा आम के बगीचे या जहाँ सरसों के खेत होते हैं वह बड़े-बड़े मधुमक्खी पालने वाले बॉक्स रखे होते हैं करीब करीब 100 -200 की संख्या में बगीचे में रखे होते हैं। वह बॉक्स न सिर्फ मधुमक्खी पालन के लिए होता है बल्कि बहुत लोगो का उसमे सपना होता है जिससे लोगो का करियर जुड़ा होता है अक्सर हम मानते हैं कि मधुमक्खी पालन एक अच्छा प्रोफेशन नहीं है लेकिन पिछले कुछ सालों में यह एक अच्छा profession बनकर उभरा है और मधुमक्खी पालन एक अच्छा profession भी है आइए हम जानते हैं इस ब्लॉग में की क्या मधुमक्खी पालन से हम लाख की कमाई कर सकते हैं। मधुमक्खी पालने का समय क्या होता है। government schemes for beekeeping, सरकार इस पर कितना सब्सिडी देती है, सरकार इसके लिए कितनी गंभीर है और ऑफिस के 9:00 AM to 5:00 AM जॉब से कितना बेहतर है सब कुछ जानेंगे इस ब्लॉग में….
मधुमक्खियों के बारे में & Types of bees
तो Basically 3 Type के फैमिली होते हैं मधुमखियो के सदस्यो में:
- वर्कर: जो काम करते हैं।
- ड्रोन: जो दूसरे होते हैं होते हैं Male Bees, जिसको drone bee कहते हैं जो थोड़े से बड़े होते हैं।
- रानी मधुमखी: तीसरी होती है Queen Bee, पुरे मधुमखियों के कॉलोनीज में एक ही रानी मधुमखी होती है और 300 से 400 के करीब male bees होते हैं।
शहद मधुमक्खी का खाना है और उसे जमा करने के लिए Beekeeper को काफी मेहनत करनी पड़ती है। हर मौसम में मधुमक्खियों की जरूरत अलग है और इसी कारण से Beekeeper को हमेशा चौकस रहना पड़ता है।
भारत में मधुमक्खी पालन की स्थिति
भारत का मौसम मधुमक्खी पालन के समय के लिहाज से काफी बेहतर है और खासतौर से उत्तर भारत में। हालांकि वैदिक काल में मधु का इस्तेमाल होते रहने के बावजूद भारत में पेशेवर बीकीपर की बहुत कमी है।
प्रधानमंत्री के इकोनामिक एडवाइजर काउंसिल के अंतर्गत बीकीपिंग डेवलपमेंट कमिटी (Beekeeping Development Committee) ने पिछले साल एक रिपोर्ट निकाली थी जिसमें बताया गया था कि इंडिया में आज के दिन 3.4 मिलियन Bee-Colonies है लेकिन संभावना है 200 मिलियन colonies की।
तो आप देख सकते हैं कि भारत को इस प्रोफेशन की कितनी जरूरत है और इन इंडिया में लगभग 9,000 Beekeepers रजिस्टर्ड है।
पिछले कुछ सालों में है इंडिया का ध्यान मधुमक्खी पालन के तरफ गया है जिसमे भारत के तमाम कृषि विश्वविद्यालयों का काफी योगदान है और साथियों थोड़े दिन की ट्रेनिंग के बाद आप भी इस काम को कर सकते हैं। चलिए आइए एक Beekeeper की कहानी हम बताते हैं जो बिहार के बांका जिले से belong करते हैं।
हम बात कर रहे हैं बिहार के बांका जिले के रिपुसूदन सिंह की जिन्होंने कुछ साल पहले ही Beekeeping का business start किया। रिपुसूदन बताते हैं कि मधुमक्खी पालन सबसे आसान काम है इसमें कोई टाइम लिमिट नहीं होती है।
और सबसे बड़ी बात यह है कि बिहार में मधुमक्खी पालन को लेकर सरकार ने सब्सिडी लॉन्च किया है रिपुसूदन बताते हैं कि एक बक्सा के कीमत करीब 4000 रूपया पड़ता है जिसमें 3600 रूपया सरकार की सब्सिडी होती है और इसमें भी अगर केंद्र सरकार का कुछ अंश मिल जाता है तो वह बक्सा फ्री का हो जाता है।
रिपुसूदन बताते हैं कि मधुमक्खी पालन के लिए उन्हें घर से थोड़ी दूर जहां सरसों के खेत होते हैं उनमें करीब -करीब 100 – 150 की संख्या में बॉक्स खाली जगह पर रखने होते है जिसे मधुमक्खियां सरसों के फूल से पराग निकालकर और वहां से बॉक्स में ले आ सके।
यह बताते हैं कि एक बक्सा में करीब 1 सप्ताह में 1 Kg मधु निकलता है अगर 200 बक्सा रखते हैं तो 200 Kg 1 सप्ताह में मधु निकल जाता है यानी एक हफ्ता में 2 क्विंटल मधु निकल जाता है।
वे बताते हैं कि 50 बक्सा अगर वह कहीं रखते हैं 2 महीने का उनका कमाई 50,000 से 60,000 रुपये की हो जाता है आसानी से।
पर्यावरण के लिए मधुमक्खियों की जरूरत
मधुमक्खी पालन एक ऐसी जॉब है जिसकी हमारे पर्यावरण की बहुत जरूरत है क्योंकि मधुमक्खियों के सहारे पूरे दुनिया का जो फूड सिस्टम है वह survive करता है एग्रीकल्चर survive करता है। मधुमक्खियां नहीं होगी तो इंसान की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है हमारे fruit, plants, vegetables से इन सब को उगने के लिए पॉलिनेशन (pollination) की जरूरत पड़ती है और मधुमक्खियां इसी पॉलिनेशन में मदद करती है ताज्जुब की बात यह है कि पूरी दुनिया में एक तिहाई फूड उत्पादन का मधुमक्खियों पर निर्भर करती है तो आप समझ सकते हैं कितना जरूरी है हमारे पर्यावरण के लिए।
मधुमक्खी पालन का इतिहास (history of beekeeping)
20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) मनाया जाता है और इसका क्रेडिट स्लोवेनिया को जाता है क्योंकि इन्होंने संयुक्त राष्ट्र (United Nation) में request किया था इसके लिए और ताजुब की बात यह है कि father of modern beekeeping, एंटोन जानसा है जो स्लोवेनिया से आते हैं।
निष्कर्ष
साथियों आप सभी सोचते होंगे की ऑफिस की 10:00 AM to 07:00 PM वाली जॉब बहुत ही रिलैक्सेशन वाली जॉब होती है उसमें कोई टेंशन नहीं होता है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। भले ही वह सूट-बूट वाले जॉब होती है लेकिन टेंशन बहुत रहती है।
तो अगर आप कही जॉब की तलाश में हो और आपको जॉब नहीं मिल रही है तो चिंता की बात नहीं है आपके लिए अपने गांव में ही अपने परिवार के साथ रहते हुए आप अच्छी-खासी कमाई कर सकते है वो भी बिलकुल काम लगत में।
और अगर कोई पिता इस ब्लॉग को पढ़ रहे हो तो आप अपने बच्चो को इसके बारे में बता सकते है क्योकि अपना बिज़नेस अपना ही होता है और इसमें आपको वह सब कुछ मिल सकता है जो आपको प्राइवेट जॉब में मिलता है।