बात 2014 की है एक पति-पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंचते हैं और वे आपसी सहमति से तलाक की मांग करते हैं। सुप्रीम कोर्ट उनके आवेदन तो स्वीकार कर लेता है लेकिन उन्हें 6 महीने का समय देता है कि एक बार वे फिर से एक साथ रह कर देख ले, राय विचार कर ले, अगर फिर बात नहीं बनती है तो नियम कानून के तहत तलाक हो जाएगी।
भारत मे विवाह संबंधित कानून
भारत में सभी धर्मों में शादी के लिए अलग-अलग कानून है। भारत का संविधान अलग-अलग धर्मों के लिए अपने रीति रिवाज से शादी करने पर विवाह को कानूनी मान्यता देता हैं। लेकिन क्या होगा यदि कोई जैन किसी पारसी से शादी कर ले, कोई पारसी किसी मुस्लिम से शादी कर ले, कोई हिंदू किसी जैन से शादी कर ले, कोई मुस्लिम किसी हिंदू से शादी कर ले, कोई सीखे किस मुस्लिम से शादी कर ले तो इस स्थिति में भारतीय संविधान संविधान को कानूनी मान्यता देगा? भारत में अलग-अलग धर्मों, संप्रदायों एवं समाज के लोग जब अपने से अलग अलग धर्मों, संप्रदायों एवं समाज में शादी करते हैं तो ‘विशेष विवाह अधिनियम 1954‘ के तहत उनकी शादी कानूनी तौर पर मान्य होती है। अब मुख्य बिंदु पर आते हैं।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955
भारत में हिंदू धर्म के लोग जब अपने रिती रिवाज के अनुसार शादी करते हैं तो उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत कानूनी मान्यता प्राप्त होती है। हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के धारा 13 में तलाक की बात की गई हैं जिसमें एक स्त्री या एक पुरुष अपने साथी तलाक के लिए आवेदन कर सकता है वही 13B के अनुसार पति पत्नी अपने आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट के द्वारा 6 महीने की वेटिंग का समय दिया जाता है कि पति पत्नी आपस में राय विचार करें, मामलों को सुलझाने की कोशिश करें एवं अपना वैवाहिक जीवन को संभाले।
देशभर के न्यायालयों को हर रोज हजारों दलीलें मिल रही थी कि तलाक के लिए 6 महीने का इंतजार नहीं किया जा सकता है। यह एक लंबा समय हो जा रहा है। लाखो दलीले ऐसी थी कि 1 दिन भी साथ गुजारना मुश्किल हो रहा है। बहुत से केस ऐसे आये जिसमें पति-पत्नी एक दूसरे से उबकर आत्महत्या कर लिए हो।
2014 के इस केस में इस दंपति द्वारा तुरंत तलाक की बात कही गई। उन्होंने बताया कि वे पिछले 4 सालों से एक साथ रह रहे हैं पर अब 1 दिन भी साथ बिताना मुश्किल हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर एक लंबी बात चली। बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और 2022 के अंत में फैसला को सुनाते हुए तलाक की इंतजार अवधि को समाप्त कर दिया है। इस केस का नाम शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन था।