आज भी हमारे देश में पीरियड्स को लेकर महिलाओं को छुआछूत का सामना करना पड़ता है। लेकिन हमारे ही देश में कई ऐसे राज्य हैं जिनमें फर्स्ट पीरियड को त्योहारों की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान लड़की को तैयार किया जाता है एवं अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरह से उत्सवों का आयोजन किया जाता है।
जैसे नाखून का बढ़ना, बालों का बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है वैसे ही महिलाओं में पीरियड्स का होना एक नेचुरल प्रोसेस है। 21वीं सदी के इस दौर में शिक्षा के व्यापक स्वरूप के बाद भी देश के कई हिस्सों में पीरियड्स होने पर महिलाओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है एवं उन्हें छुआछूत का सामना करना पड़ता है। कुछ दिन पहले आपने इस घटना के बारे में जरूर सुना होगा कि एक भाई द्वारा अपनी बहन को केवल इसलिए मार दिया गया क्योंकि उसको लग रहा था उसकी बहन गलत कार्यों में संलिप्त थी लेकिन सच्चाई यह था कि उस लड़की को पीरियड्स हुए थे और दाग कपड़ों में लगे हुए थे।
हमारे देश में कई ऐसे राज्य हैं जहां फर्स्ट पीरियड को उत्सव की तरह मनाया जाता है आइए जानते हैं-
कर्नाटक
कर्नाटक में किसी लड़की को फर्स्ट पीरियड आने पर घर में औरतों द्वारा धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। लड़की को नई साड़ी पहना जाता है। ऐसा माना जाता है की लड़की बड़ी हो रही है ऐसे में साड़ी पहनना जरूरी है। इसे ऋतु शुद्धि या ऋतु कला के नाम से जाना जाता है।
असम
असम में लड़कियों को पहली बार पीरियड्स आने पर इसे शादी विवाह की तरह धूमधाम से मनाया जाता है। इसे तुलोनिया बिया के नाम से जाना जाता है। लड़की को हल्दी पानी से नहलाया जाता है घर में खुशी का माहौल आता है और लड़की को काम करने की मनाई होती है।
तमिलनाडु
इस राज्य में लड़कियों को फर्स्ट पीरियड आने पर उत्सव मनाया जाता है। इसे मंजल निरातु वीजा के नाम से जाना जाता है। इस उत्सव पर मेहमानों को बुलाया जाता है लड़की को नहला कर सिल्की साड़ी एवं दोनों से सजाया जाता है एवं स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए जाते हैं।
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में भी लड़की को फर्स्ट पीरियड आने पर खुशी व्यक्त की जाती है एवं काम करने की मनाही होती है। इसे पेडमनीषी पंडागा के नाम से जाना जाता है।
उड़ीसा
उड़ीसा में लड़की को फर्स्ट पीरियड आने पर खुशी व्यक्त किया जाता है एवं इसे 3 दिनों तक मनाया जाता है। उड़ीसा में इसे राजा प्रभा के नाम से जाना जाता है। लड़की को नए कपड़े पहने जाते हैं एवं काम की मनाही होती है।
निष्कर्ष
महिलाओं में पीरियड्स का होना नेचुरल प्रक्रिया है। इसमें हारमोंस में कुछ बदलाव भी देखने को मिलते हैं। आज भी महिलाओं को पीरियड्स को लेकर छुआछूत का सामना करना पड़ रहा है। पीरियड्स पर खुलकर बातचीत भी नहीं होती है। किशोरावस्था में प्रवेश करने के दौरान माता-पिता एवं शिक्षकों का यह नैतिक कर्तव्य बनता है की वे पीरियड्स पर खुलकर बातें करें एवं उसके बारे में बच्चों को बताएं।