पैरों में जूते, स्कूल की पोशाक पहने हुए और पीठ पर पानी के बोतल के साथ बैग लटकाए हुए स्कूली बच्चे आपको हर गली में दिख जाएंगे। आपके घर के बच्चे भी पीठ पर बैग लटकाए स्कूल जा रहे होते हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये बैग जिनमें किताबें, पानी की बोतल, लंच बॉक्स, पेंसिल बॉक्स, कलर बॉक्स आदि होता है, आपके बच्चों को परेशान कर रही है।
शिक्षा मंत्रालय की ओर से स्कूली बच्चों के भारी बस्ते और इसके प्रभाव पर आई रिपोर्ट हमें चिंता करने वाली है। इस रिपोर्ट के अनुसार बस्ते का बढ़ता हुआ वजन बच्चों को बीमार कर रहा है। भारी भरकम बस्ते के कारण 77 फिसदी से अधिक बच्चे कमर और गर्दन संबंधित रोगों के शिकार हो रहे हैं।
शिक्षा मंत्रालय का सर्वे
शिक्षा मंत्रालय ने देशभर के स्कूली बच्चों और अभिभावकों से बस्ते और उसके प्रभाव पर लिए गए फीडबैक के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार लगभग 77 फ़ीसदी से अधिक अभिभावकों ने बताया कि बस्ती के कारण उनके बच्चों की गर्दन या कमर पर असर पड़ा है। बच्चे कमर और गर्दन दर्द की शिकायत करते रहते हैं। 50 फ़ीसदी से अधिक बच्चों ने कहा कि वे अपने बस्ते का वजन और हल्का करना चाहते हैं। इस काउंसलिंग में अभिभावकों ने बताया कि बच्चों के बस्ते में मोटी किताबें, नोटबुक और रेफरेंस बुक होते हैं। इसके अलावा बस्ते में पानी की बोतल, लंच बॉक्स, पेंसिल बॉक्स, कलर बॉक्स और स्कूल द्वारा अनिवार्य की गई अन्य बस्तुए भी होती है। लगभग 60% अभिभावकों ने यह बताया कि वे चाहते हैं कि बच्चों के बस्ते का वजन कम हो।
बस्ते का वजन कितना होना चाहिए
शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी द्वारा बस्ते के बोझ और बच्चों पर इसका प्रभाव जानने के लिए देशभर के 2992 अभिभावकों और 3624 बच्चों से इस संबंध में बातचीत की। कई चरणों में विभिन्न स्कूलों एवं बच्चों और अभिभावकों से फीडबैक लेने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की गई। शिक्षा मंत्रालय के निर्देशानुसार बस्ते का वजन बच्चे के वजन के 10 फ़ीसदी से अधिक ना हो। नई शिक्षा नीति के अनुसार भी बस्ते का वजन कम करने का निर्देश है।
शनिवार के दिन बैगलेस कार्यक्रम
सरकारी स्कूलों में बस्ते के वजन एवं प्रभाव को लेकर काफी हद तक अमल शुरू हुआ है। बिहार के स्कूलों में शनिवार को बैगलेस किया गया है जिसमें बच्चें शनिवार को बिना बैंग के स्कूल आएंगे एवं इस दिन बच्चों के फिजिकल एक्टिविटी और सामान्य ज्ञान पर विशेष जोर दिया जा रहा है। निजी स्कूलों में इस पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है लेकिन सरकार को निजी स्कूलों से इस विषय में गंभीर बातचीत की जरूरत है ताकि बच्चों पर बस्ते के बोझ को कम किया जा सके।
आपके राज्य के सरकारी एवं निजी विद्यालयों में बच्चों पर बस्ते के बोझ की क्या स्थिति है। बिहार के सरकारी स्कूलों में शनिवार को बैगलेस किया गया है अगर आपके राज्य में भी बस्ते के बोझ से संबंधित कोई पहल शुरू हुई है तो इसकी जानकारी आप कमेंट सेक्शन में दे सकते हैं।