सीबीआई डायरेक्टर CBI Director की नियुक्ति कैसे होती है?

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नमस्कार दोस्तों, पढ़ो पढ़ाओ में आपका स्वागत है। आज के इस ब्लॉग में सीबीआई और सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के बारे में चर्चा करेंगे। आपने हाल ही में देखा है की कर्नाटक cader के आईपीएस अधिकारी प्रवीण सूद को सीबीआई निदेशक के बनाया गया है जिससे की यह खबर चर्चा में आ गया है।

आप सभी लोग सीबीआई के बारे में सुनते होंगे और जानते भी होंगे लेकिन आज के इस ब्लॉग में हम विस्तार से देखेंगे सीबीआई के बारे में और सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति कैसे होती है।

खबर क्या है?

हाल ही में सरकारी आदेश द्वारा कर्नाटक में 14 मई को एक आदेश जारी किया गया था जिसमे 1986 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी प्रवीण सूद को सीबीआई का प्रमुख यानि डायरेक्टर ऑफ़ CBI बनाया गया है।

इसके पहले अगर हम देखे तो वर्तमान सीबीआई के प्रमुख सुबोध कुमार जयसवाल जो 25 मई तक अपने पद पर बने रहेंगे 25 मई के के बाद उनका कार्यकाल समाप्त हो जायेगा उसके बाद प्रवीण सूद इस पद को संभालेंगे। इनकी नियुक्ति में प्रधानमंत्री की उच्च स्तरीय चयन सिमिति के सदस्य भी शामिल है। हालाँकि प्रवीण सूद के बारे में बात करे तो ये वर्तमान में कर्नाटक राज्य के पुलिस महानिदेशक के पद पर बेंगलुरु में कार्यरत है।

CBI (Central Bureau Investigation) के बारे में

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) भारत के नोडल पुलिस एजेंसी के नाम से जानी जाती है सीबीआई, केंद्रीय सतर्कता आयोग और लोकपाल को सहयोग प्रदान करती है। ये जो संस्था है ये अलग अलग संस्था के रूप में कार्य करती है तथा भारत में हो रहे भ्रष्टाचार के विरोध में सहायता प्रदान करती है।

सीबीआई, भारत सरकार के कार्मिक, पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय के कार्मिक विभाग के अध्यक्ष के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत अपराधों के अन्वेषण में इसका अधीक्षण केंद्रीय सतर्कता आयोग के पास होता है। इसके अलावा भारत के कई एजेंसियों के समन्वय के लिए ये कार्यरत है।

सीबीआई का गठन

सीबीआई का गठन दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 के गठन से जुड़ा हुआ है। इसका गठन भारत सरकार के विभिन्न विभागों में भ्रष्टाचार के आरोपों के अन्वेषण हेतु 1963 में भारत सरकार द्वारा किया गया। इसके अंतर्गत भारत के सुरक्षा से सम्बंधित गंभीर अपराधों, उच्च पदों पर भ्रष्टाचार, गंभीर धोखाघड़ी और सामाजिक अपराधों के अन्वेषण हेतु इसका गठन किया गया है।

इसका गठन संथानम समिति के सिफारिश पर किया गया है।

सीबीआई के निदेशक (प्रमुख) की नियुक्ति

जैसा की हम जानते है की नियुक्ति की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के विनीत नारायण निर्णय द्वारा 1997 द्वारा लिया गया था जो वर्ष 2014 तक सीबीआई निदेशक की नियुक्ति DSPE अधिनियम 1946 के प्रावधान के आधार पर अलग तरीके से होती थी लेकिन 2013- 14 के बीच में लोकपाल अधिनियम के तहत निदेशक की नियुक्ति के लिए कुछ बदलाव किये गए तथा इसको अलग तरीके से बनाया गया है जो एक समिति का प्रावधान किया गया है और इस समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। तथा इसके दो सदस्य है जो इस प्रकार है:

  1. विपक्ष के नेता: अगर विपक्ष के नेता लोकसभा में मौजूद है तो इसका सदस्य है अगर नहीं है तो सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।
  2. इसके अलावा भारत के मुख्य न्यायधीश या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश जो सीबीआई के द्वारा नियुक्त किये गए हो इनमे से कोई एक इस प्रक्रिया का हिस्सा है।

इसमें गृह मंत्रालय द्वारा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को एक सूचि सौपी जाती है जिसमे सभी लोगो के नाम होते है। अब इसमें जांच होता है की वरिष्ट कौन है, ईमानदारी और भ्रष्टाचार के मामलो को ध्यान में रखते हुए सूचि को आगे बढ़ाया जाता है।

सीबीआई निदेशक का कार्यकाल CVC अधिनियम 2003 द्वारा 2 वर्ष निर्धारित किया गया है।

नवंबर 2021 में राष्ट्रपति की अध्यक्षता में केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई और ED के निदेशकों के कार्यकाल को बढाकर 2 वर्षो से बढाकर 5 वर्ष करने की अनुमति दी गई है।

अतः हम कह सकते है की सीबीआई को बड़े बड़े चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो इस प्रकार है:

सीबीआई को समस्याओं का समाधान करते समय राजनितिक हस्तक्षेप का भी सामना करना पड़ता है तथा कई बार ऐसे केस होते है जिनके जांच में देरी होता है और काफी लम्बे समय तक मामले चलते है तथा इनको अविश्वसनीय के नजर में देखा जाता है।

और इनके ऊपर आरोप भी लगता है की ये मौजूदा सरकार के इशारे पर कार्य करते है और इनकी लिमिटेशंस भी है कई बार हाई प्रोफाइल लोगो के जांच के लिए इन्हे केंद्र सरकार का अनुमति का इंतज़ार करना पड़ता है।

निष्कर्ष

सीबीआई को प्रशासनिक नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए तभी तो ये भ्रष्टाचार जैसे समस्याओं का समाधान करेंगे। सीबीआई संस्था में भी इजाफा करना होगा साथ ही साथ मानव संसाधन को सशक्त करना होगा तथा सीबीआई की शक्तियों में वृद्धि लानी होगी जो हमारे देश के लिए अति आवश्यक है।

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