दोस्तों पढ़ो पढ़ाओ में आपका स्वागत है हम फिर से एक नया टॉपिक लेकर आए हैं। हम बात करेंगे की ट्रेन पर लिखे कुछ कोड होते है नंबर्स और कोड होते है उन सब का मतलब क्या होता है और इससे जुड़ी तमाम जानकारियों पर चर्चा करेंगे।
इस ब्लॉग में हम देखेंगे कि ट्रेन के अंदर छत में जालीनुमा आकृति होती है वह क्यों लगाया जाता है, ट्रैन के अंदर लगे पंखे और बल्ब को चोरी करने से बचाने के लिए रेलवे ने क्या उपाय किये है, ट्रेन का AC कितने टन का होता है और इसकी कैपेसिटी कितनी होती है, ट्रेन के कोच के बाहर लिखे साइड फिलिंग और लिफ्ट here का क्या मतलब होता है, रेलवे ट्रेनों में से screw कपलिंग को हटाकर CPC coopling को क्यों करना चाहता है, रेलवे में लगे CDTS टॉयलेट को हटाकर boi-toilets क्यों लगा रहा है, रेलवे ट्रेनों से Side Boofer को हटाकर क्यों center Boofer क्यों लगा रहा है और भी बहुत कुछ जानने वाले है इस ब्लॉग में
Roof Ventilator (ट्रेन के अंदर छत में लगे जालीनुमा आकृति):
ट्रेन के अंदर छत में लगे जालीनुमा आकृति जिसको टेक्निकल भाषा में रूफ वेंटीलेटर (roof ventilator) कहा जाता है। हम सभी जानते है की गर्म हवा कभी भी ऊपर के तरफ जाती है तो ट्रेन के अंदर भीड़ बहुत ज्यादा हो जाती है तो गर्म हवा बनने लगती है और वो हवा ऊपर जाने लगती है जिसको निकालने के लिए ट्रेन के छत में रूफ वेंटीलेटर लगाया जाता है।
अगर गर्म हवा को नहीं निकाला जायेगा तो ट्रेन का संतुलन बिगड़ सकता है और दुर्घटनाग्रस्त हो सकती है। इसलिए रूफ वेंटीलेटर लगाया जाता है ट्रेन के छत के ऊपर भी हवा निकलने का जगह रहता है।
ट्रेन में लगे पंखे और बल्ब बाहर नहीं चलने के क्या कारण है?
ट्रेन में लगे पंखे केवल ट्रेन में ही चलते है हम उसे घर में लाकर बिजली से नहीं चला सकते है क्योकि हमारे घरो में AC (अल्टरनेटिव करेंट) 220 volt होता है और DC (डायरेक्ट करेंट) 5 , 12 या 24 वोल्ट ही होता है और रेलवे के पंखे और बल्ब 110 DC (डायरेक्ट करेंट) के होते है। रेलवे के पंखे और बल्ब 110 वोल्ट DC टेक्नोलॉजी पर काम करता है इसलिए हम अपने घर में रेलवे के पंखे और बल्ब को लाकर नहीं चला सकते है क्योकि हमारे घर में 110 वोल्ट DC नहीं मिलेगा।
पहले रेलवे में पंखे और बल्ब की चोरी की घटना बहुत सुनने को मिलती थी लेकिन इस टेक्नोलॉजी के आने के बाद रेलवे के पंखे और बल्ब की चोरी रुक गई।
यहाँ पढ़े: क्या बिना टिकट भी कर सकते हैं ट्रेन में सफर? रेल यात्रा के वो नियम जो आपको जानने चाहिए।
ट्रेन के कोच पर पायदान के पास लिखे Lift here और साइड फिलिंग का मतलब क्या होता है?
दोस्तों आप देखे होंगे ट्रेन के पायदान के पास साइड फिलिंग और Lift here लिखा होता है। चलिए पहले lift here समझने की कोशिश करते है। लिफ्ट का मतलब उठाना होता है तो lift here मतलब यहाँ से उठाइये यानि की जहां पर lift here लिखा होता है वही से कोच को उठाया जाता है बोगी से अलग करने के लिए। जब ट्रेन मेंटेनेंस के लिए ट्रेन जाती है तो उसके बोगी को कोच से अलग करने के लिए उठाया जाता है और उठाने के लिए जहां lift here लिखा होता है वही क्रेन को लगाया जाता है जहां पर लिफ्ट हियर लिखा होता है वही पर पुरे कोच का सपोर्ट होता है।
ट्रेन के निचे वाला भाग जिसमे चक्का रहता है उसको बोगी कहते है और जिसमे बैठने वाला सीट रहता है उसको कोच कहा जाता है।
ट्रेन में साइड फिलिंग (side filling) का मतलब क्या होता है?
अब समझते है साइड फिलिंग, साइड मतलब इस ओर और फिलिंग मतलब भरना। ट्रेन के कोच पर लिखे साइड फिलिंग मतलब पानी भरने के लिए जगह दिया होता है ताकि जब ट्रेन स्टेशन पर खड़ा हो तो कोच के टंकी में पानी आसानी से भरा जा सके। रेलवे के केवल बड़े बड़े स्टेशनो पर ही पानी भरने की व्यवस्था होती है और एक बात और भी बताना चाहूंगा की बड़े बड़े स्टेशनो पर ट्रेन का ज्यादा देर तक रुकने का कारण में एक ये भी कारण है की ट्रेन में कोच में पानी भरना होता है।
ट्रेन के 1 कोच में 4 टंकी होती है, 2 कोच के पहले साइड में और 2 कोच के दूसरे Side में। 1 टंकी की क्षमता 500 लीटर की रहती है और उसको भरने में 20 मिनट का समय लगता है। मतलब 2000 लीटर भरने में 20 मिनट का समय लगता है।
ट्रेन में लगे AC कितने टन का होता है?
ट्रेन के 1 कोच में 2 AC लगे होते है और 1 AC की क्षमता 7 टन की होती है। मतलब ट्रेन के एक कोच में 14 टन क्षमता के AC लगे होते है।
ट्रेन के कोच में लगे 2 AC 415 वोल्ट 3 फेज अल्टरनेटिव करेंट सप्लाई से, इन्हे जनरेटर द्वारा चलाया जाता है।
भारतीय रेलवे में जैव शौचालय (Bio-toilets) क्यों हैं?
पहले ट्रेन में ओपन डिस्चार्ज टॉयलेट फंक्शन था आसान भाषा में बोले तो पहले जब लोग टॉयलेट करते थे तो उसी समय कोच के टॉयलेट से वेस्टेज गिरने लगता था जिससे ट्रेन के पटरियों में जंग लग जाता था। इससे एक और नुकसान था जब रेलवे स्टेशन पर ट्रेन खड़ी रहती थी तो लोग टॉयलेट जाते थे तो wastage पटरी पर ही गिर जाता थे जिससे रेलवे स्टेशनो पर गन्दगी बढ़ने लगी।
इससे बचने के लिए रेलवे ने ओपन डिस्चार्ज सिस्टम को बंद कर दिया और कंट्रोल डिस्चार्ज टॉयलेट सिस्टम लाया इसमें टॉयलेट को कंट्रोल किया जाता था इसका कंट्रोल सिस्टम ऐसे काम करता था की जब ट्रेन का स्पीड 30 KM/h से ज्यादा होती थी तो टॉयलेट वेस्टेज को स्टोर करने वाला राउंड शेप टंकी का ढक्कन अपने आप खुल जाता था लेकिन इससे भी रेलवे को समस्या का समाधान नहीं मिला क्योकि wastage स्टेशन से दूर जाकर गिरता था लेकिन रेलवे पटरी पर ही गिरता था इससे पटरियों में फिर से जंग पकड़ने लगा।
इस समस्या के समाधान के लिए DRDO ने 2011 में बैक्टीरिया के मदद से एक टॉयलेट सिस्टम को बनाया जिसको बायो टॉयलेट कहते है।
आप कभी ध्यान दिए होंगे ट्रेन के कोच के बाहर टॉयलेट रूम के ठीक निचे एक डब्बा लगा रहता है उसमे बैक्टीरिया को डालकर DRDO भेजी रहती है बैक्टीरिया टॉयलेट के wastage को छोटे छोटे टुकड़ो में तोड़ देता है और डिकम्पोज़ कर देता है जिससे wastage गैस में बदल जाता है और हवा में चला जाता है।
Bio-Toilets से रेलवे को बहुत फायदा हुआ क्योकि इसमें उतना मेंटेनन्स का खर्चा भी नहीं होता है और पटरियां भी जंग लगने से बच गई।
ट्रेन के जनरल कोच को कैसे पहचाने?
जनरल कोच के डिब्बे पर पीला रंग का पट्टी होता है और जनरल कोच में आने जाने के 3 दरवाजे रहते है। जनरल कोच ट्रेन के इंजन के ठीक बाद लगाया जाता है या सबसे अंत में लगाया जाता है।
ट्रेन के डिब्बे पर लिखे अंकों का क्या मतलब होता है?
आप लोग गौर किये होंगे ट्रेन के डिब्बों पर कुछ नंबर लिखे होते है जिसको कोच नंबर कहते है ये 5 अंको के होते है। शुरुआत के 2 अंक साल को दर्शाते है की कौन से साल में कोच बना हुआ है और अंत के 3 अंक कोच के प्रकार को दर्शाते है।
कोच टाइप को समझने की कोशिश करते है:
- 1 से लेकर 200 तक AC कोच का नंबर होता है।
- 200 से लेकर 400 तक Sleeper कोच का नंबर होता है।
- 400 से लेकर 600 General कोच का नंबर होता है।
- 600 से लेकर 700 Chair Car कोच का नंबर होता है।
- 700 से लेकर 800 Seating cum Luggage कोच का नंबर होता है।
- 800 से ज्यादा नंबर जिस कोच पर होता है वो या तो रसोई यान होता है चिठ्ठी ले जाने वाला कोच होता है या जरनेटर कोच होता है।
उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते है। मान लीजिये किसी डिब्बे के ऊपर 12435 लिखा है तो पहले 12 लिखा है इसका मतलब 2012 साल में ट्रेन का डिब्बा बना है और अंत के 3 अंक में 435 लिखा है तो इसका मतलब जनरल कोच है क्योकि 400 से 600 के बीच का कोड जनरल कोच को दर्शाता है। जो की हमने आपको ऊपर में बताया है।
उम्मीद है आप सभी चीज़े समझ गए होंगे अगर आपको आपका कोई सवाल हो या कोई डाउट हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते है। हम पूरी कोशिश करेंगे आपके सवालो का उत्तर देने का।
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