Indus Valley Civilization in Hindi – हड़प्पा सभ्यता, एक स्मार्ट शहर नियोजन

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काल निर्धारण 2600B C to 1900 BC

Indus valley civilization in hindi: हड़प्पा सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो अपने स्मार्ट टाउन प्लानिंग की वजह से पूरी दुनिया में जानी जाती है। आज से लगभग 4500 वर्ष पहले विकसित हुई यह सभ्यता जिसकी टाउन प्लैनिंग, जल निकासी व्यवस्था  बिल्कुल आज के आधुनिक शहरी नियोजन की तरह ही देखी जाती है।

1921 में जब इसकी खुदाई प्रारंभ हुई तो इसने विश्व के तमाम इतिहासकारों एवं पुरातातवविदों का ध्यान खींचा। हड़प्पा को और जानने के क्रम में आज भी अनुसंधान जारी है और इसकी लिपियों को पढ़ने की कोशिश की जा रही है। आइए हड़प्पा सभ्यता को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

जानकारी के स्रोत

इतिहास को जानने के लिए स्रोतों की आवश्यकता होती है जिसमें साहित्यिक स्रोत और पुरातात्विक स्रोत प्रमुख होते हैं। साहित्यिक स्रोत का मतलब है उस समय की कोई लिपि भाषा पुस्तक आदि की जानकारी एवं पुरातात्विक स्रोत का मतलब है उस समय की उपकरण बर्तन औजार कपड़े मकानों के साक्ष्य या किसी भी तरह के भौतिक वस्तुओं का अवशेष।

हड़प्पा सभ्यता से साहित्यिक स्रोत के रूप में केवल कुछ लिखी हुई लिपियां प्राप्त हुई है लेकिन अभी तक इसको पढ़ा नहीं जा सका है एवं पुरातात्विक स्रोत में मकानों के साक्ष्य, बर्तन, कृषि से संबंधित उपकरण, खिलौने, मूर्तियां, नापतोल की वस्तुएं, चित्र आदि बहुत से पुरातात्विक स्रोत प्राप्त हुए हैं। हड़प्पा सभ्यता की जितनी भी व्याख्या की गई है वह केवल पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर ही की गई है ना की साहित्यिक स्रोत के आधार पर।

नामकरण

पुरातत्व विज्ञान में यह परंपरा है कि जिस स्थल से किसी सभ्यता या संस्कृति की जानकारी मिलती है उसके आधार पर उसका नामकरण किया जाता है। सर्वप्रथम 1921 ईस्वी में हड़प्पा नामक स्थल की खुदाई दयाराम साहनी के नेतृत्व में की गई इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता कहते हैं। हालांकि इस सिंधु घाटी सभ्यता भी कहते हैं क्योंकि यह सभ्यता सिंधु नदी के तट पर विकसित हुई थी।

हड़प्पा सभ्यता का प्रसार

हड़प्पा सभ्यता का प्रसार अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा भारत में देखने को मिलता है। अफगानिस्तान में शोतुगोई, मंडीकाक आदि स्थल प्रमुख है वही पाकिस्तान में मोहनजोदड़ो चाहुंदडो, हड़प्पा, मेहरगढ़, कोटडीजी, बालाकोट, सूटकाजेंडोर, रहमानढेरी आदि प्रमुख स्थल है। भारत में इसका प्रसार उत्तर पश्चिमी भारत में ज्यादा हुआ था भारत में इसका प्रमुख स्थल कश्मीर में मांडा, पंजाब में रोपड़, हरियाणा में राखीगढ़ी,बनावली, गुजरात में कच्छ धोलावीरा लोथल, रंगपुर, सुरकोटड़ा, महाराष्ट्र में दैमाबाद, राजस्थान में कालीबंगा, एवं उत्तर प्रदेश में आलमगीरपुर इसके प्रमुख स्थल है। हालांकि अब तक2500 से ज्यादा हड़प्पा स्थलों की खोज की जा चुकी है।

हड़प्पा स्थल की विशेषताएं

किसी भी शहर को विकसित होने के लिए कृषि अधिशेष जरूरी होता है। हड़प्पा में कृषि से संबंधित जानकारी मिलती है जैसे हड़प्पा से गेहूं के साक्ष्य, बनावली से जौ, लोथल से चावल आदि प्रमुख खदानों की जानकारी मिलती है। प्राकृतिक सिंचाई जैसे वर्षा एवं बाढ़ के जल से इसके अलावा धोलावीरा से विकसित जल प्रबंधन एवं जलाशय के साक्षी मिलते हैं वही शोतुगोई से तारों के साक्ष्य मिले हैं। पशुओं में गाय बैल भेड़ बकरी कुत्ता बिल्ली देहाती पार्टी पशुओं की जानकारी मिलती है। हड़प्पा सभ्यता से बड़ी संख्या में शिल्प के साक्ष्य प्राप्त होते हैं जैसे धातु से बने बर्तन मूर्तियां उपकरण इत्यादि। उनको तांबा का सोना, चांदी इत्यादि धातुओं का ज्ञान था लेकिन लोहे का नहीं।

हड़प्पा सभ्यता का नगर नियोजन

हड़प्पा सभ्यता अपने नगर नियोजन के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। प्राय शहर दो भागों में विभाजित होते थे पश्चिमी एवं पूर्वी हालांकि इसके अपवाद भी है ढलविरा तीन भागों में विभाजित था तथा लोथल के विभाजन के साक्ष्य नहीं मिले हैं। पश्चिमी भाग अपेक्षाकृत ऊंचाई पर स्थित होता था तथा क्षेत्रफल भी कम होते थे इनकी किलेबंदी भी की जाती थी जिसे दुर्ग कहा जाता था वही पूर्वी भाग अपेक्षाकृत बड़ा होता था तथा इसकी किलाबंदी नहीं होती थी। पश्चिमी भाग से कुछ महत्वपूर्ण इमारतें की जानकारी मिलती है जैसे मोहनजोदड़ो से सभा भवन, सार्वजनिक स्नानागार, अन्नाकर इत्यादि।

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इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक एवं अधिक प्रभुत्व वाले लोग पश्चिमी भाग में रहते थे। निचला शहर आयताकार खंडो में विभाजित और सड़क एक दूसरे को समकोण पर कटती थी जिसे ग्रिड पैटर्न कहा जाता है यह प्रचलन आज भी है। लगभग एक ही प्रारूप में गालियों एवं जलनिकासी की व्यवस्था की गई थी। घरों के नाले मुख्य नालों में गिरते थे एवं इन्हें ढक कर रखा जाता था इनके साफ-सफाई के संकेत भी मिलते हैं।

हड़प्पा सभ्यता को समकालीन सभ्यताओं की तुलना में सबसे बेहतर एवं जल निकासी व्यवस्था के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया। मकान के निर्माण में भी एकरूपता दिखाई पड़ती है जैसे आंगन के  चारों तरफ कमरे, प्रत्येक मकान में कुआं एवं स्नानागार कि साक्ष्य मिलते हैं। मकान के निर्माण में पक्की ईंटों का बहुततायात मे प्रयोग किया गया है। अगर यूट्यूब पर गौर करें तो इनकी लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई में एक वैज्ञानिक अनुपात देखा गया है।

हड़प्पा से सिक्कों के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं मिलती है इससे पता चलता है कि उसे समय वास्तु दिन में प्रणाली प्रचलित रही होगी।

हड़प्पाई समाज

समाज में विभिन्न वर्गों की उपस्थिति का अनुमान जैसे शासक व्यापारी कारीगर श्रमिक इत्यादि। मकान की बनावट, कीमती वस्तुएं, अंतिम संस्कार इत्यादि से सामाजिक विभाजन के भी संकेत मिलते हैं। हड़प्पा सभ्यता से बड़ी संख्या मेंआभूषण की प्रति इस तथ्य का संकेत है कि महिलाओं का इसके प्रति विशेष लगाव रहा होगा। बड़ी संख्या में महिलाओं की मिट्टी की मूर्तियां, महिलाओं के सामाजिक धार्मिक महत्व के संकेत हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा समाज मे महिलाओं के प्रति कोई भेदभाव नहीं था और उन्हें उचित सम्मान प्राप्त था। नगर नियोजन, नापतोल की वस्तुएं,इन के निर्माण में एकरूपता इत्यादि तथ्य वैज्ञानिक शिक्षा के प्रचलन की ओर इशारा करते हैं लेकिन हड़प्पा से प्राप्त लिपियां को अभी तक नहीं पढ़ा जा सका है।

हड़प्पाई धर्म

हड़प्पा से प्राप्त साक्ष्य के आधार पर धर्म के संदर्भ में निम्न संभावनाएं व्यक्त की गई है। मोहनजोदड़ो के एक मोहर पर पशुओं से घिरे हुए योगी की मुद्रा में देवता की आकृति की पहचान शिव के रूप में की गई है। मोहनजोदड़ो एवं अन्य स्थलों से शिवलिंग तथा योनि के साक्ष्य एवं कुबड़ वाला बैल के भी साक्षी मिलते हैं।

देवी पूजा के प्रचलन के भी साक्ष्य जैसे एक मोहर से देवी के गर्भ से पौधे को निकलता हुआ दिखाया गया है संभवत पृथ्वी को मात्री देवी के रूप में पूजा जाता होगा।विभिन्न प्रकार के मनके, ताबीज जैसी वस्तुएं मृतकों के साथ वस्तुओं को दफनाना समाज में कर्मकांड, अंधविश्वास पुनर्जन्म इत्यादि के प्रचलन की ओर इशारा करता है। हड़प्पा से संबंधित कई धार्मिक विशेषताएं जैसे अंतिम संस्कार, प्रकृति पूजा, देवी एवं देवताओं की आराधना की जानकारी मिलती है।

हड़प्पा सभ्यता का पतन

हड़प्पा सभ्यता के पतन के संदर्भ में विभिन्न इतिहासकारों ने अलग-अलग तर्क दिए हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि हड़प्पा सभ्यता का आकस्मिक पतन प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, नदी मार्ग में परिवर्तन विदेशी आक्रमणों के कारण हुआ है। वहीं दूसरी ओर अन्य विद्वानों का मानना है की हड़प्पा सभ्यता का पतन क्रमिक रूप से एवं शहरी तत्वों के पतन तथा निरंतरता से हुआ है। उनका मानना है कि शाहरुख का पतन पर्यावरण और संतुलन के कारण हुआ है ना की पूरी सभ्यता काक्योंकि शहरों के आसपास ग्रामीण बस्तियों के अस्तित्व के संकेत भी मिलते हैं और यही अधिक मान्य माना जाता है।

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