नमस्कार स्वागत है आपका हमारे इस नए ब्लॉग में, आज के इस लेख में हम एक महत्वपूर्ण स्कीम के बारे में चर्चा करने वाले हैं कि अब intercaste marriage करने पर 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। अब ये किस सरकार की योजना है, स्किम का नाम क्या है, इसके लिए कौन-कौन योग्य है तथा इस स्कीम के पीछे का उद्देश्य यानी सरकार की क्या objectivity है आइए जानने की कोशिश करते हैं।
यह स्कीम कौन सी राज्य की सरकार की है?
भारत में अंतर्जातीय व अंतरधार्मिक विवाह हमेशा से ही विवादास्पद रहे हैं। इन दोनों के केस में सबसे ज्यादा सामाजिक बहिष्कार देखने को मिलती है। ऐसे में अंतरजातीय विवाह को प्रमोट करने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा 10 लाख रुपए प्रोत्साहन के तौर पर दिए जाएंगे। अब आप यह सोच रहे होंगे की यह राजस्थान की कोई नई स्कीम है तो ऐसा नहीं है यह एक पुरानी स्कीम है। 2023-24 के बजट पेश करते हुए राजस्थान सरकार ने इस राशि को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया है। इस योजना का नाम savita ben ambedkar intercaste marriage scheme है। लेकिन ऐसा नहीं है की शादी करते ही तुरंत 10 लाख रुपए मिल जाएंगे। 10 लाख रुपए एक साथ नहीं दिए जाएंगे क्योंकि इसमें fraud की भी संभावना हो सकती है। शादी के बाद आपको एक joint account open करवाना होगा जिसमें शुरुआत में 5 लाख रुपए मिलेंगे एवं 5 लाख की राशि अगले 8 सालों में दिए जाएंगे। किसी राष्ट्रीय बैंक में खाता खुलवा कर 5 लाख रुपए FD के तौर पर जमा कर दिए जाएंगे जो 8 सालों के बाद मिलेंगे।
गौरतलब है कि यह योजना 2006 में राजस्थान सरकार द्वारा शुरू किया गया था जिसमें सबसे पहले 50 हजार रुपए दिए जाते थे फिर 5 लाख दिए जाने लगे लेकिन अब 2023-24 के बजट में इस स्कीम की राशि 10 लाख रुपए कर दिया गया है। ऐसे में आप सोच रहे हैं की राजस्थान सरकार के पास कितना पैसा है जो पूरी हेल्थ फैसिलिटी को फ्री में करने के बाद भी intercaste marriage करने पर 10 लाख रुपए दे रही है। तो ऐसा नहीं है इस राशि में 75% राजस्थान सरकार का है एवं 25% केंद्र सरकार द्वारा सहयोग किया जा रहा है।
Savita ben ambedkar intercaste marriage scheme के लिए योग्यता
- उम्र- केंद्र सरकार की मानकों के अनुसार विवाह का न्यूनतम उम्र 21 साल होना चाहिए एवं अधिकतम उम्र 35 साल से कम होने चाहिए।
- हिंदू होना अनिवार्य– इस योजना का लाभ पाने के लिए वर एवं वधू को हिंदू होना चाहिए।
- क्लेम– शादी के बाद 1 साल के अंदर आप इसे क्लेम कर सकते हैं। सबसे पहले आप को special marriage act 1954 के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा फिर आगे की प्रक्रिया होगी।
- क्रिमिनल केस प्रतिबंधित– वर एवं बधु अलग-अलग जाति से होने चाहिए एवं उन पर किसी भी तरह का कोई क्रिमिनल केस नहीं होना चाहिए।
- सालाना इनकम- सालाना इनकम ढाई लाख रुपए से कम होने चाहिए। यह योजना केवल पहली शादी पर ही लागू होगी।
विशेष विवाह अधिनियम (special marriage act) 1954
भारत में सभी धर्मों के विवाह से संबंधित कानून एवं रीति रिवाज होते हैं जिनके अनुसार शादी करने पर सरकार कानूनी मान्यता देती है। लेकिन क्या होगा अगर कोई मुस्लिम पारसी से शादी करता है, कोई जैन सिख से शादी करता है, कोई हिंदू ईसाई से शादी करता है या दो अलग-अलग जाति के लोग आपस में शादी करते हैं। इस प्रश्न का साधारण सा जवाब है इन शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 द्वारा कानूनी मान्यता दी जाती है। यह एक सिविल लां है जो inter-caste marriage एंड interfaith marriage को कानूनी मान्यता देता हैं।
एक सर्वे में यह पाया गया है कि 75 से 80% लोग अपने ही जाति में शादी करना चाहते हैं। अगर वे अपने जाति या धर्म से हटकर किसी और जाति या धर्म में शादी करते हैं तो उन्हें परेशान किया जाता है, झूठे केसों में फसा दिया जाता है एवं तरह-तरह के केस, दहेज उत्पीड़न केस आदि चार्ज लगा दिए जाते हैं तो ऐसे में विशेष विवाह अधिनियम 1954 को लागू किया गया जो उनके अधिकारों तथा उनकी सुरक्षा की गारंटी देता है।