मनरेगा योजना क्या है? – सरकार ने क्यों की राशि में 14 फीसदी की कटौती – UNION BUDGET 2023

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Mgnrega yojana: हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आम बजट 2023-24 पेश किया गया है। बजट की अपनी खूबियां है, उतार-चढ़ाव है पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। हर कोई अपने हिस्से के फायदे व नुकसान को लेकर मंथन कर रहे हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं सरकार द्वारा ग्रामीण भारत में चलाई जा रही ऐसी योजना के बारे में जिसे ग्रामीण भारत में बड़े स्तर पर रोजगार सृजन करता है एवं आजीविका का मुख्य स्रोत माना जाता है। हम बात कर रहे हैं मनरेगा के बारे में।

सरकार ने 2023-24 के बजट में मनरेगा की आवंटन राशि में भारी कटौती की है। एक ओर इसे चिंता का विषय माना जा रहा है वही सरकार का दावा है कि ग्रामीण भारत में अब स्थिति सामान्य हो चली है।

आइए जानने की कोशिश करते हैं मनरेगा क्या है इसकी क्या खूबियां है यह ग्रामीण भारत के लिए कैसे महत्वपूर्ण हो जाता है और इससे क्या सच में ग्रामीण भारत की हालात में सुधार हो रहा है आइए जानने की कोशिश करते हैं बने रहीए हमारे ब्लॉग के साथ।

मनरेगा कार्यक्रम की शुरुआत एवं महत्व

भारत गांव का देश है और लगभग 70% जनसंख्या गांव में निवास करती है ऐसे में गांव को बिना आगे बढ़ाएं विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। सरकार की ओर से गांवों के विकास एवं रोजगार सृजन के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही है, मनरेगा भी उन योजनाओं में से एक है जो गांव में रोजगार की गारंटी देता है।

मनरेगा का full form महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना है। यह संसद द्वारा 2005 में पास किया गया एक अधिनियम है जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा रोजगार देने की गारंटी दी गई है। इस कार्यक्रम की सबसे दिलचस्प दिया है कि यह भारत की ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी कार्यक्रम है।

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मनरेगा का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा लोगों की आजीविका में सुधार करना है। यहां एक विशेष बात यह है कि इसमें जो रोजगार की गारंटी दी गई है वह अकुशल शारीरिक कार्य टाइप का है या नहीं अगर आपको कंप्यूटर चलाने आता है तो आप चाहे कि मनरेगा में कंप्यूटर का काम कर ले तो ऐसा नहीं होगा। इस कार्यक्रम के तहत 1 साल में 100 दिन तक काम दिए जाते हैं एवं 18 साल से अधिक यानी व्यस्त व्यक्तियों को ही काम दिया जाता है।

वर्तमान आंकड़ों के अनुसार मनरेगा के तहत 15 करोड़ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है।इस कार्यक्रम के तहत जल संरक्षण, भूमि विकास, निर्माण, कृषि एवं ग्रामीण योजनाओं से संबंधित काम कराए जाते हैं।

कोविड-19 के दौरान जब लोग शहरों को छोड़कर गांव लौटे तो मनरेगा आजिविका मुख्य साधन बना और लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला।

बजट आवंटन और कटौती

पिछले साल की तुलना में इस वर्ष मनरेगा की आवंटन राशि में भारी कटौती की गई है यानी 2022-23 में 73 हजार करोड़ राशि आवंटित की गई थी वहीं इस बार के बजट में 60 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

कारण

सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से कोई कारण नहीं बताया गया है लेकिन बजट पेश होने के एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 लाया गया था जिसमें मनरेगा आवंटन राशि में गिरावट की कारण बताए गए।

मनरेगा कार्यक्रम के तहत काम में गिरावट दिखा गया है, सरकार द्वारा बताया गया कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अब सुधार हो गया है और धीरे-धीरे यह सामान्य स्थिति में पहुंच गई है।

आधुनिक उपकरणों एवं उन्नत किस्म के बीज, उर्वरक आदि आ जाने से लोग अब खेती करने में रुचि ले रहे हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि विकास देखने को मिला है जिससे लोग कृषि से ज्यादा जुड़ रहे हैं। कोविड-19 स्थिति में सुधार हुआ है जिससे लोग अपने व्यवसाय एवं उद्योगों के रुख कर रहे हैं। सरकार की तरफ से लगातार मनरेगा बजट आवंटन में तीसरी बार कटौती की गई है।

बजट कटौती का प्रभाव

मनरेगा की आवंटन राशि में कमी किए जाने पर काम के दिनों में कमी देखने को मिला है एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी महसूस की गई है। सोशल एक्टिविस्ट लगातार श्रम दिवस बढ़ाने की मांग कर रहे हैं एवं उनका मानना है ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार को और बजट बढ़ाने की जरूरत है।

दिसंबर 2022 के अनुसार केंद्र सरकार के पास राज्यों का 4700 करोड़ बकाया है जिससे राज्य मनरेगा का कार्य करवाते हैं।

2016 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था की सरकार मनरेगा की आवंटन राशि के भुगतान में विलंब ना करें अथवा यह माना जाएगा की सरकार मनरेगा कार्यक्रम के तहत लोगों को बंधुआ मजदूर की तरह कार्य करवा रही है।

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