सहारा में पैसा लगाकर बैठे निवेशकों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को SAHARA-SEBI फंड से लोगों को निवेश का पैसा लौटाने की अनुमति दी है. भारत सरकार ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. दरअसल सहारा ने बहुत दिनों से लोगो का पैसा झूला के रखा है और लोग बहुत दिन से इस आशा में बैठे थे की उनका पैसा कब मिलेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सहारा-SEBI फण्ड में कुल 24 हजार करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार ने इसमें से 5000 करोड़ रुपये निवेशकों को भुगतान के लिए आवंटित किए जाने की मांग की थी जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बहुत दिन पहले पिनाक पानी मोहंती नाम के एक शख्स ने केंद्र सरकार को जनहित याचिका (PIL) भेजकर सरकार से गुहार लगाई थी की लोगो का पैसा जल्द से जल्द लौटने के लिए उचित कदम उठाया जाये। इसके बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने आदेश दिया कि जमाकर्ताओं के पैसे उन्हें जल्द से जल्द लौटाए जाएं।
क्या है सहारा-SEBI केस?
2009 की बात है, सहारा ग्रुप की एक कंपनी ‘सहारा प्राइम सिटी’ शेयर मार्केट में अपना कदम रखने के लिए SEBI के पास अनुमति लेने के लिए आवेदन दाखिल करती है। SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया का काम है शेयर मार्केट में होने वाली गड़बड़ियों पर अपनी नज़र रखना और गड़बड़ियों को रोकना, शेयर धारको से मिलने वाली शिकायतों का निपटारा करना और कंपनियों से नियमों का पालन कराना। सितंबर 2009 की बात है, सहारा प्राइम सिटी SEBI को IPO लाने के लिए आवेदन देती है जिसको स्टॉक की भाषा में DRHP कहते है। DRHP एक तरह का एक प्रारंभिक डॉक्यूमेंट होता है जिसमें शेयर मार्केट से पैसा उठाने वाली कंपनी अपनी पूरी जानकारियां रखती है. जैसे: कंपनी का नाम, पता, कंपनी के पास कितना पैसा है, कंपनी कहा से मुनाफा कमाती है और काम क्या करती है और भी बहुत कुछ।
SEBI सहारा प्राइम सिटी के बायोडाटा का वेरिफिकेशन कर रही थी। उसी दौरान SEBI को पता चला की सहारा ग्रुप की दो कंपनियां जिनके नाम हैं सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) लोगो से गलत तरीके से पैसे उठाए हैं।
जांच में पता चला की सहारा ग्रुप की ये दोनों कंपनियां बिना SEBI के अनुमति के दो-ढाई करोड़ लोगों से 24 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। जांच में यह भी पता चला की सहारा के कई निवेशक फर्जी थे और उनका कंपनी से कोई लेना देना नहीं था।
इसी सब गड़बड़ी को देखते हुए SEBI ने सहारा का OFCD रोक दिया और सहारा को लोगों के पैसे 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। इसके बाद सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए और SEBI पर मुक़दमा दायर कर दिया उसके 4 महीने बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने SEBI के पक्ष में फैसला सुनाया और सहारा को लोगो के पैसे लौटने के आदेश दिए लेकिन सहारा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने भी SEBI के पक्ष में फैसला सुनाया और लोगो के 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया।
फिर भी लोगो के पैसे सहारा ने नहीं लौटाए, फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में दखल दिया और SAHARA-SEBI FUND बनाया और सहारा को आदेश दिया की लोगो का पैसा 3 किस्तों में SAHARA-SEBI FUND में जमा करे उसके बाद सहारा ने पहली क़िस्त की राशि 5210 करोड़ रुपये SEBI के खाते में डाल दिए। उसके बाद का पैसा सहारा ने SAHARA-SEBI FUND में जमा नहीं किया तो सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया गया। हालाँकि 2 साल बाद उन्हें पेरोल मिल गई।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने SAHARA-SEBI FUND से 5000 करोड़ रुपये निवेशकों को भुगतान के लिए जारी करने की अनुमित दी है। जिसके बाद लोगो के पैसे मिलने शुरू हो गए है।