Bhashini Bhasha Daan: हम जानते हैं कि तकनीक किसी भी समाज के विकास के लिए आजकल बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रही है वैसे ही भारत के समाज के लिए बहुत जरूरी है नवीनतम तकनीक। भारत में एक तबका ऐसा है जो शहरी क्षेत्रों में निवास करता है और एक तबका ऐसा है जो ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है। शहरी क्षेत्रों में लोग नई नई तकनीक से रूबरू होते रहते हैं क्योंकि शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट (Local Area Network) की उपलब्धता ज्यादा है और सभी लोग लगभग-लगभग शिक्षित भी है वहीं अगर हम ग्रामीण क्षेत्र की बात करें तो वहां इंटरनेट की उपलब्धता उतनी नहीं है और ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी को लेकर लोग इतना सहज भी नहीं है जिसके चलते हैं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग अपने संदर्भ में या अपने से जुड़ी समस्या को इंटरनेट के माध्यम से सुलझा सके और और उनको सरकार की सभी योजनाओ के बारे में जानकारी मिल सके। इसी कड़ी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने भाषिनी (Bhashini) और भाषादान (Bhasha Daan) परियोजना शुरुआत करने की कोशिश कर रही है इस ब्लॉग पोस्ट में हम इसी की चर्चा करेंगे।
सरकार ने एक नई तकनीक अपनाने की बात कही है जिसका नाम है ChatGPT और Whatsapp है क्योंकि आज के समय में whatsapp का प्रयोग सभी लोग करने लगे हैं चाहे वह शहरी लोग हो और चाहे ग्रामीण। भले ही सब के उपयोग के तरीके अलग-अलग हैं लेकिन सरकार ने हाल ही में whatsapp का प्रयोग करते हुए एक और नयी तकनीक का उपयोग करने जा रही है जिसका नाम ChatGPT है और इसके जरिए कुछ सरकारी सेवाओं की डिलीवरी की भी बात कही है।
Bhashini, Bhasha Daan परियोजना चर्चा में क्यों है?
आप सभी ने ChatGPT के बारे में सुना होगा हाल ही में यह तकनीक भरकर सबके सामने आई है और इंटरनेट की दुनिया में क्रांति ला दी है अगर आपने ChatGPT के बारे में नहीं सुना है तो थोड़ा समझने की कोशिश करेंगे चैट जीपीटी एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से आपको किसी भी सवाल का जवाब आपकी भाषा में उपलब्ध कराता है और यह सही-सही जवाब देने में सक्षम है।
सरकार ने यह देखा कि देश में अनुमानित 150 मिलियन किसान है और उन तक सभी सरकारी योजनाओं की जानकारी सही समय पर नहीं पहुंच पाती है और पहुंचते भी है तो लेट से पहुंचती है तब तक योजनाओं का समय सीमा खत्म भी हो जाता है जिसके कारण बहुत किसान योजनाओं का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं तो सरकार अब ChatGPT और व्हाट्सएप को जोड़कर सही जानकारी सही समय में किसानों को व्हाट्सएप के माध्यम से पहुंचाएगी।
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क्या है भाषिनी, भाषा दान परियोजना? (what is Bhashini, Bhasha Daan)
मैसेजिंग सर्विस whatsapp आप सब ने इसके बारे में सुना होगा क्योंकि आप हर दिन इसका use करते हैं।
ChatGPT, OpenAI से जुड़ी एक कंपनी है जो किसी भी सवाल का जवाब यूजर्स को देने में सक्षम है उसके शब्दों में।
सरकार एक परियोजना लंच कर रही है जिसका नाम भाषिनी है Bhashini के माध्यम से सरकार द्वारा संचालित प्रमुख सरकारी योजनाओं की जानकारी whatsapp के जरिये दी जाएगी। व्हाट्सएप आधारित एक ChatBot का निर्माण किया जाएगा।
मान लीजिए आपके पास whatsapp है और आप use भी करते हैं और किसी सरकारी योजनाओं के बारे में आप जानना चाहते हैं तो आपको whatsapp का माइक on करेंगे और Chatbot से सवाल पूछेंगे की किसान सम्मान निधि योजना के लिए कौन कौन से लोग पात्र है या किसी भी सरकारी योजना का लाभ कैसे ले? तो chatbot आपको उस सवाल का जवाब सही तरीके से देगा। आप जिस भी भाषा में सवाल पूछेंगे तो उसका जबाब उसी भाषा में जवाब मिल जाएगा।
इसके लिए सरकार यह प्रयास कर रही है कि सभी सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी एवं ट्रेनिंग ChatBot को दी जाएगी ताकि ChatBot सभी प्रश्नों को follow up कर सके और Cross Question का जवाब दे सके इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सभी स्थानीय भाषाओं को जोड़ना है ताकि किसी भी भाषा में अगर कोई सवाल पूछे तो उसका जवाब उसी भाषा में सही-सही तरीके से मिल जाए।
इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बनाई एक टीम है Bhashini परियोजना पर काम कर रही है।
चाटबॉट कैसे काम करेगा?
उपयोगकर्ता voice notes यानी बोलकर प्रश्न पूछ सकता है और ChatBot बोलकर इसका जवाब दे सकेगा वर्तमान में परीक्षण के अधीन है।
भारत के ग्रामीण और कृषि आबादी को ध्यान में रखते हुए इस को विकसित किया जा रहा है।
सरकारी योजना और सब्सिडी पर आधारित सभी प्रश्नों का जवाब देगा।
यह भाषा मॉडल पर काम करेगा ताकि सभी भाषा के लोग इसका उपयोग कर सकें।
Bhashini, Bhasha Daan की स्थानीय भाषाओं की समझ पर व्याख्या
ChatGPT जटिल प्रश्नों का जवाब देने में सक्षम है, भारतीय भाषाओं के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल सार्वजनिक मंच का निर्माण किया जाएगा इसमें एक पहल का नाम आएगा जिसका नाम होगा Bhasha Daan या bhashini योजना के अंतर्गत आती है।
अभी फ़िलहाल में अंग्रेजी, हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी, बंगाली, कन्नड़, उड़िया और असमिया सहित 12 भाषाओं पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है चाटबॉट को।
इसकी सीमाएं और चिंता है?
आप सभी को पता है कि AI Bot की प्रतिक्रिया हमेशा सटीक नहीं होती है जो कि Google Bard के Case में देखने को मिला है हाल ही में सरकार जिस ChatGPT का प्रयोग करने जा रही है उसके भी अपनी कुछ सीमाएं हैं जैसे कि यह 2021 तक के data को ही अपने पास रखा है यानी real time data अपडेट नहीं रखता है तो सरकार की सबसे बड़ी चिंता यह है कि इसको real time data सेट किया जाए और 2021 के बाद भी जो डाटा मौजूद है उसको अपडेट किया जाए और सभी भाषाओं के साथ इसका जुड़ाव हो और भाषा मॉडल के Data set पर इसको प्रशिक्षण किया जाए।
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