आज के दौर में जहां स्टार्टअप लोन और इन्वेस्टर के दम पर लोग खड़े कर रहे है सालो साल मेहनत करने के बाद भी कुछ सफल हो पाते तो कुछ को हार का सामना करना पड़ता है। और जो स्टार्टअप सफल हो पाते है वो उतना profit नहीं बना पाते है। लेकिन हम आज एक ऐसे स्टार्टअप के बारे में बात करने जा रहे है जिनका profit 2700 करोड़ रूपया है।
दोस्तों इस आदमी को देखिये जो गांव में रहता है और चलने के लिए साइकिल है और सीधा-साधा ज़िन्दगी जीता है लेकिन क्या आप जानते है यह आदमी कौन है? यह है Zoho कंपनी का मालिक और अभी तक का इसका 2700 करोड़ रुपये का प्रॉफिट है।
भारत में 114 यूनिकॉर्न कंपनी है और इसमें से भी 77 अभी loss में है और यह आदमी गांव में बैठकर इतना बड़ा पैसा बना रहा है। इसके 180 से ज्यादा देशो में व्यापार है। इसके 6 करोड़ से ज्यादा customer है। 11 हज़ार से ज्यादा employees इसके कंपनी में काम करते है। एप्पल, नेटफ्लिक्स, अमेज़न महिंद्रा इनके clients है।
अगर हम Zoho कंपनी के revenue की बात करें तो इसका revenue 7000 हज़ार करोड़, profit 2700 करोड़ है और कंपनी की वैल्यूएशन 40000 करोड़ है। और हम आपको बता दे की इतना बड़ा कंपनी बिना किसी loan बिना किसी इन्वेस्टर के पैसे से। सिर्फ और सिर्फ अपने पैसे से इतना बड़ा बिज़नेस खड़ा कर दिया।
Zoho corporation कंपनी के मालिक का नाम श्रीधर वेम्बू (Sridhar Vembu) है और सरकार ने इन्हे पदमश्री अवार्ड से नवाजा है। लेकिन कौन है ये आदमी कैसे खड़ा किया इतना बड़ा कंपनी और इसकी शुरुआत कैसे हुई और इनकी कंपनी कौन सी सर्विस और प्रोडक्ट सेल करती है। आइये जानते है इसके बारे में।
Sridhar Vembu के बारे में
Sridhar Vembu का जन्म तमिलनाडु के एक छोटे से गांव में हुआ। इनका पूरा परिवार किसानी किया करता था और इसी पर निर्भर था। कुछ समय बाद इनके पिताजी चेन्नई चले गए और वहाँ high court में स्टेनोग्राफर का काम करने लगे। उस समय इन्होने JEE का एग्जाम दिया और क्वालीफाई कर गए और AIR – 27 रैंक प्राप्त हुआ। उसके बाद Sridhar Vembu को IIT मद्रास में एडमिशन मिल गया। मजे की बात यह थी की Sridhar Vembu अपने फॅमिली के ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने ग्रेजुएट हुए। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्ट्रीम से दाखिला लिया था लेकिन उन्हें पढाई में मज़ा नहीं आ रहा था कैसे भी करके अपना एग्जाम क्लियर करके Princeton University चले गए। वहाँ जाकर पीएचडी की उपाधि ली। पर वहाँ भी उन्हें मज़ा नहीं आया। फिर उन्होंने decide किया की खुद से केवल किताब पढ़ेंगे और किताब के भरोसे ही रहेंगे।
इसी बीच एक बढ़िया कंपनी में जॉब लग गयी सैलरी भी अच्छी खासी मिल रही थी लेकिन उनके अंदर से सुकून नहीं मिला। उन्हें बेचैनी रहती थी की मैंने जो सोचा था वो नहीं कर रहा हूँ। उनके मन में था की देश के लिए कुछ करेंगे लेकिन मौका मिला तो। लेकिन मौका मिल नहीं रहा था। Sridhar Vembu इतने intelligent थे की उनके कंपनी में एक ऐसे सॉफ्टवेयर की जरुरत थी जिसमे C ++ की जरुरत थी उन्होंने किताब से सिख कर सॉफ्टवेयर बना दिया।
1996 में इनके भाई का फ़ोन जाते है और कहते है भाई एक खुद की कंपनी बनाते है और इंडिया में ही बनाएंगे ताकि इंडिया के लोगो को फायदा होगा। रोजगार मिलेगा लोगो को और नाम भी होगा। Sridhar Vembu अपने भाई के साथ सीधे पहुंच गए चेन्नई और एक छोटे से कमरे में बैठकर एक कंपनी की शुरुआत की जिसका नाम था Adventnet।
इसमें उनका vision यह था की हार्डवेयर यानि मशीन बनाएंगे और बेचेंगे। मशीने बनाते बनाते सारे पैसे खर्च हो गए और कुछ नहीं हुआ। तब उन्होंने हार्डवेयर छोड़कर सॉफ्टवेयर के तरफ मूव किये और चुकी पैसा भी ख़त्म हो गया था तो सॉफ्टवेयर कम पैसे में हो जायेगा। तो सॉफ्टवेयर बनाना शुरू कर दिया दोनों भाइयों ने।
सॉफ्टवेयर बिज़नेस का सफर
Sridhar Vembu और उनके भाई सॉफ्टवेयर बनाने में तो एक्सपर्ट थे लेकिन मार्केटिंग का आईडिया नहीं था उनको यानि सॉफ्टवेयर को बेचा कैसे जायें। क्योंकि एक client ने 30 हज़ार डॉलर का सौदा किया तो बताया की भाई जिस तरह से तुम अपने सॉफ्टवेयर बेच रहे हो मैं कभी लेने वाला नहीं था लेकिन आपका सॉफ्टवेयर बहुत बढ़िया है इसलिए ले लिया। तब जाकर Sridhar Vembu को पता चला की मार्केटिंग में प्रॉब्लम है।
उस दिन के बाद से एक सेल्स वाले व्यक्ति को hire किया और उसके साथ साथ घूमने लगे। और धीरे – धीरे सेल्स का स्किल भी सीख लिया।
उसके बाद सेल्स बढ़ने लगे तो टीम की जरुरत महसूस हुई और finance देखने वाला एक आदमी रख लिया, मैनेजमेंट देखने के लिए भी आदमी रख लिया और इस तरह धीरे-धीरे टीम में लोग जुड़ते गए और टीम बड़ी होती गई।
AdventNet की शुरुआत और बिज़नेस मॉडल
इनकी कंपनी को ब्रेकथ्रू तब मिला जब एक exhibition में अपना सॉफ्टवेयर दिखाया उस exhibition में जापानी कस्टमर की लाइन लग गई और वो सभी कस्टमर थे HP के। HP अपना सॉफ्टवेयर बहुत अधिक दामों पर बेचकर उन कस्टमर से पैसे बना रहा था। HP का सॉफ्टवेयर इतना महंगा था की उसको खरीदना एक आम आदमी के बस की बात नहीं थी।
जापानी कस्टमर्स ने बोला की जो सॉफ्टवेयर HP महंगे पैसे में दे रही है क्या यही वाला सुविधा कम पैसे में दे सकते है? तो Sridhar Vembu ने कहा जरूर दे सकते है। आपके हिसाब से भी बनाकर दे सकता हूँ और वहाँ से उनको अपना बिज़नेस मॉडल मिल गया। उनको समझ में आया की मेरा कॉम्पिटिशन बड़ी-बड़ी कंपनियों से है।
बड़ी-बड़ी कंपनियां सॉफ्टवेयर बनाकर बड़े लोगो को दे रही है बस वही चीज़ मुझे कम बजट में छोटे लोगो को बनाकर दे देनी है। यह बिज़नेस मॉडल बनकर तैयार हो गया था। तो इस तरह 1998 में Sridhar Vembu के कंपनी AdventNet को एक बहुत बड़ा ऑर्डर मिला और उस समय उनके कंपनी का revenue 1M डॉलर पहुंच गया।
कुछ दिनों के बाद इनकी कंपनी का revenue 1M डॉलर हो गया तब इनको एक ऑफर आया की 25M डॉलर में कंपनी को बेचा जा सकता है। तब 5 लोगो की टीम थी सभी आपस में बातचीत किये और ऑफर को रिजेक्ट कर दिया। उसके बाद कभी इन्वेस्टर के इन्वेस्टमेंट में कभी रूचि ही नहीं दिखाई। समय के साथ कंपनी के पास प्रोजेक्ट आते गए प्रॉफिट होता गया और वही पैसा कंपनी में लगते गए। सन 2000 आते आते इनके पास 115 लोगो की टीम हो चुकी थी और 10M से ज्यादा का टर्नओवर पहुंच चूका था।
संघर्ष और सन 2000 की com bubble burst
साल 2000 में com bubble बरसत हुआ था और सभी स्टार्टअप्स के शेयर्स 80 % तक टूट गए थे सभी कंपनियां अपने कर्मचारियों को नौकरी से निकाल रही थी लेकिन Sridhar Vembu ने अपने टीम से किसी को भी नहीं निकला क्योंकि वे ज्यादातर बिज़नेस cash में करते थे और उनके पास cash बहुत था। क्राइसिस के वजह से मार्केट डाउन था तो सभी employee खाली बैठे थे तो उन्होंने सबसे कहा की अभी कोई काम नहीं तो सभी मिलकर सोचो की मार्केट में क्या नया आने वाला है, रिसर्च & डेवलपमेंट पर लग जाओ।
उनके पास जो पहले से प्रोडक्ट था जो पहले से अच्छा सेल हो रहा था उसको और बेहतर बनाने की सोची और अपने सॉफ्टवेयर को बदलते-बदलते एक manageengine नाम का सॉफ्टवेयर बनाया जो आज भी उनको बहुत अच्छा revenue देता है। उस समय एक और रिसर्च किया उन्होंने cloudservice पर गए और उसी समय जन्म हुआ zoho कारपोरेशन का।
इनका बिज़नेस मॉडल पुराना वाला ही था। बड़ी कम्पनियाँ बड़े clients के लिए जो सॉफ्टवेयर बहुत महंगे दामों पर बना रही थी वही सॉफ्टवेयर छोटे लेवल पर zoho corporation कस्टमर्स के लिए बनाने लगी और इनका बिज़नेस चलने लगा।
Zoho आज भी उतना पॉपुलर क्यों नहीं है जबकि कमाई सबसे ज्यादा करता है?
चुकीं Zoho मार्केटिंग नहीं करता अपने प्रोडक्ट का या कंपनी का सिर्फ और सिर्फ low profile maintain करता है। इसके पीछे की वजह है की Sridhar Vembu ji रिसर्च एंड डेवलपमेंट में विश्वास करते है। अगर को उनका रिसर्च fail हुआ तो उनके reputation पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
पहले इनकी कंपनी अमेरिका में रजिस्टर्ड थी लेकिन 2009 में Sridhar Vembu जी ने अपनी कंपनी Zoho corporation के नाम से रजिस्टर्ड करवा लिया। और आज भी इनकी कंपनी खूब धूमधाम से चल रही है।