ऐसा कई बार होता है कि हम अपने दोस्तों या परिवार के बीच बैठकर किसी मुद्दे पर बात कर रहे होते हैं और अचानक से ऐसा लगता है ये बात तो पहले भी हो चुके है। लेकिन कब, कहा ये समझ में नहीं आता, आप कुछ देर के लिए इस फिलिंग के बारे में सोचने की कोशिश करते हैं लेकिन जब पुरानी चीजें याद नहीं आती तो आप उसे छोड़कर आगे बढ़ जाते हैं।
कभी-कभी ऐसा होता है कि हम किसी ट्रेन या बस में सफर कर रहे होते हैं तो कुछ याद आता है यार ये पहले भी हो चुका है लेकिन समझ में नहीं आता कि कब और कहां हुआ। कभी-कभी हम किसी अनजान जगह पहुंचते हैं तो अचानक ये लगता है कि हम पहले भी यहां आ चुके हैं लेकिन कब आए यह याद नहीं आता।
क्या होता होगा है डेजा वू(Deja Vu)?
डेजा वू एक फ्रेंच शब्द है जिसका मतलब होता है पहले से देखा हुआ या महसूस किया हुआ। अगर हम डेजा वू को साइकोलॉजिकल तौर पर समझने की कोशिश करें तों ये एक बहुत ही स्ट्रांग फीलिंग है जो यह बताती है कि ये एक्सपीरियंस, घटना हमारे साथ पहले भी हो चुकी है या फिर इस चीज को हम पहले भी देख चुके हैं। हम कुछ सेकंड के लिए इसके बारे में सोचते हैं लेकिन पुरानी कोई चीज याद नहीं आती और आगे बढ़ जाते हैं।
हालांकि ये चीज़ आपके साथ नहीं हुआ है ना ही इसकी कोई याद है लेकिन ये केवल फिलिंग के तौर पर कभी-कभी महसूस होता है।
हालांकि इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है, यह लगभग 30-80% लोगों को महसूस होता है। पहली बार यह 8-10 साल की उम्र में महसूस होता है और धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। 20-25 साल की उम्र में यह पिक पर पहुंच जाता है और उसके बाद धीरे-धीरे यह बहुत ही कम महसूस किया जाता है।
डेजा वू (Deja Vu) महसूस क्यों होता है?
अगर हम अपने दिमाग को एक कमरे की तरह माने तो इसमें अलग-अलग कमरे होते हैं। एक कमरा है जो हमारी यादों को संभाल कर स्टोर करता है वही दूसरा हमें निर्णय लेने में सहायता करता है। इसी तरह कोई कमरा हमारे इमोशंस को संभालता है तो कोई हमारे दिन भर के कामों का हिसाब रखता है।
डेजा वू हमारे यादाश्त रखने वाले कमरे और वर्तमान का हिसाब रखने वाले कमरे के बीच की प्रक्रिया है।
अगर हम पुरानी चीजों के बारे में सोच रहे हैं तो हमारा पुरानी यादों वाला कमरा का दरवाज़ा खुला होता है और सारी यादें हमारे दिमाग में चलने लगती है।
दिमाग का वह कमरा जो वर्तमान में जीता है और यादों वाला कमरा एक दूसरे के पीछे आगे पीछे चलता है। दोनों कमरे में अलग-अलग दरवाजा है। अगर वर्तमान वाला कमरे का दरवाजा काम कर रहा है तो यादों वाला कमरे का दरवाजा बंद हो जाएगा। कभी कभार ऐसा होता है की यादों वाला कमरा और वर्तमान वाले कमरे दोनों का दरवाजा खुला रह जाए तो हमारा दिमाग कंफ्यूज हो जाता है और हमें यह महसूस होता है कि जो जगह पहली बार देख रहे हैं शायद वह कभी पहले भी देखे हैं।
अगर आपके साथ कभी ऐसा होता है तो घबराने की कोई बात नहीं है, सास ले और रिलैक्स (Relax) होकर अपने काम में लग जाएं।
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