आज के इस ब्लॉग में Question hour in parliament, question hour in hindi, what is question hour, difference between question hour and zero hour, what is zero hour के बारे में बात करने वाले हैं।
संसद में प्रश्न करना सदस्यों का अधिकार है और सदस्य द्वारा उठाए गए प्रश्न का जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है। सदस्य प्रश्न के माध्यम से जनता की आवाज सदन में उठाते हैं और शासन-प्रशासन पर सदस्यगण प्रश्न पूछते हैं सरकार से और सरकार पूछे गए प्रश्न का उत्तर देती है जिसके माध्यम से सरकार की जवाबदेही तय होती है।
लेकिन प्रश्नकाल में प्रश्न पूछने के क्या तरीके होते हैं प्रश्नकाल और शून्यकाल में क्या अंतर होता है। आइए जानते हैं आज के इस पोस्ट में।
प्रश्नकाल क्या है – What is question hour?
प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक रोचक और बेहद महत्वपूर्ण भाग होता है। सदन में सदस्यों द्वारा पूछे गए प्रश्नों में मुख्य रूप से जानकारी मांगी जाती है और एक विषय विशेष पर तथ्यों पर जानकारी जानने की कोशिश की जाती है। इसके लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में अलग से व्यवस्था की गई है।
दरअसल संसद में उठाए जाने वाले प्रश्न एक ऐसा माध्यम होते हैं जिसके जरिए संसद प्रशासन पर नजर रखता है और इसका इस्तेमाल हर सांसद द्वारा संसदीय लोकतंत्र में किया जाता है।
संसदीय प्रणाली में सरकार अपने कामकाज के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होती है किसी भी सांसद के लिए प्रश्न पूछना एक संसदीय उपाय है जिसका मूल मकसद जनहित से जुड़े किसी मामले पर जानकारी हासिल करना है।
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सदस्य प्रश्नकाल के दौरान कौन-कौन से प्रश्न पूछ सकते हैं?
सदन में जब सदस्य द्वारा प्रश्न किए जाते हैं तो उनसे अपेक्षा की जाती है कि उनके द्वारा उठाए जाने वाले प्रश्न संक्षेप में हो साथ ही साथ सटीक भी हो। सदन में पूछे जाने वाले प्रश्न उतनी ही महत्वपूर्ण होते हैं जितने संबंधित मंत्री द्वारा दिए जाने वाले जवाब।
प्रश्नकाल कितने तरह के होते हैं (types of Question Hour)?
संसद में सदस्यों द्वारा प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले प्रश्नों को 4 श्रेणियों में बांटा गया है।
तारांकित प्रश्न, अतारांकित प्रश्न, अल्प सूचना और गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न।
हालांकि गैर सरकारी सदस्यों से कभी-कभी ही प्रश्न पूछे जाते हैं।
संसद में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए जाने के अलग-अलग तरीकों के आधार पर संसदीय प्रावधानों को 4 श्रेणियों में बांटा गया है। कुछ सवालों के मौखिक उत्तर दिए जाते हैं तो कुछ के लिखित। यह सदन के अध्यक्ष या सभापति के विवेक पर निर्भर करता है कि वे किस प्रश्न को तारांकित और किस प्रश्न को अतारांकित की श्रेणी में रखते हैं।
तारांकित प्रश्न (starred question):
तारांकित प्रश्नों का उत्तर सदन में मौखिक रूप से दिया जाता है।
प्रश्नों पर पहचान के लिए तारे का चिन्ह बना रहता है।
तारांकित प्रश्नों का उत्तर दिए जाने के बाद सदस्यों द्वारा उन पर अनुपूरक प्रश्न भी पूछे जा सकते हैं।
अतारांकित प्रश्न (unstarred question):
अतारांकित प्रश्न वे होते हैं जिनका उत्तर सभा में लिखित रूप से दिया जाता है। इन पर तारांक नहीं बना होता है और इन पर अनुपूरक प्रश्न भी नहीं पूछे जा सकते हैं। ऐसे प्रश्न के लिखित उत्तर संबंधित मंत्री द्वारा प्रश्नकाल के बाद सभा पटल पर रखे गए मान लिए जाते हैं।
अल्प सूचना प्रश्न (short notice question):
अल्प सूचना प्रश्न अविलंबनीय लोक महत्व के विषय में होते हैं।
दरअसल कभी-कभी किसी लोक महत्त्व से जुड़ा मुद्दा इतना महत्वपूर्ण हो जाता है कि उसे ज्यादा देर तक टाला नहीं जा सकता। ऐसे में अल्प सूचना प्रश्न लोकसभा में साधारण प्रश्न के लिए निर्धारित 10 दिन की अवधि से कम समय की सूचना देकर पूछ सकते हैं।
जबकि राज्यसभा में 15 दिन की अवधि से कम समय की सूचना देकर पूछ सकते हैं। तारांकित प्रश्न के समान इसका मौखिक उत्तर दिया जाता है। और उस पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाते हैं।
गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न:
गैर सरकारी सदस्यों से पूछे जाने वाले प्रश्न जो किसी गैर सरकारी सदस्य को संबोधित किए जाते हैं लेकिन शर्त यह है कि प्रश्न का विषय किसी ऐसे विधेयक, संकल्प या सभा के कार्य के अन्य विषय से संबंधित हो। जिसके लिए वो सदस्य उत्तरदाई हो। ऐसे प्रश्नों से संबंधित प्रक्रिया वही है जो मंत्री को संबंधित प्रश्नों में अपनाई जाती है।
शून्यकाल क्या है – What is zero hour?
लोकसभा में प्रश्नकाल के ठीक बाद शून्यकाल चलता है। प्रश्नकाल की तरह शून्यकाल की व्यवस्था संसद के दोनों सदनों में की गई है।
लोकसभा में 12:00 बजे शून्यकाल का समय निर्धारित है जबकि राज्यसभा में प्रश्नकाल से पहले शून्यकाल का समय निर्धारित है। शून्यकाल में उठाए गए मुद्दे ज्वलंत और सीधे जनता से जुड़े होते हैं।
प्रश्नकाल और शून्यकाल में अंतर (What is difference between question hour and zero hour)?
प्रश्नकाल में जहां सदस्यों को पूर्व में सूचना देनी होती है वही शून्य काल में सदस्य द्वारा पूर्व में इसकी सूचना नहीं देनी पड़ती है और सदन में मुद्दे उठाए जा सकते हैं।
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