Jhuthi FIR Se Kaise Bache – झूठी FIR से बचने के लिए कानून | झूठी FIR से नौकरी पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

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Jhuthi FIR se kaise bache: आमतौर पर ऐसा देखा जाता है की जब दो गुटों में मारपीट होती है तो जो लोग इनमें शामिल भी नहीं होते है उनका नाम पुलिस FIR में दर्ज करा दिया जाता है इसे ही झूठी एफआईआर कहा जाता है। आजकल झूठी FIR एक प्रचलन सा हो गया है जिसमें लोगों को गैर तरीके से अभियुक्त बनाया जा रहा है। इसके सबसे ज्यादा शिकार सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र एवं विदेश जाने वाले युवक है। आज के इस लेख में जानेंगे की अगर कोई व्यक्ति आपके ऊपर झूठी FIR करता है तो huthi FIR se kaise bache, इससे बचने के लिए कौन-कौन से कानून है एवं क्या क्या प्रक्रिया हो सकती है।

अपराध के प्रकार

अपराध दो तरह के होते हैं पहला गैर संज्ञेय अपराध दूसरा संज्ञेय अपराध। गैर संज्ञेय उसे कहा जाता है जिसमें एक मामूली मारपीट होती है सीधे तौर पर कहा जाए तो दोनों के बीच एक दो थप्पड़ या थोड़ी सी नोकझोंक हो सकती है। इस तरह के केस में पुलिस का प्रयास रहता है की FIR दर्ज ना हो और मामला शांति से निपटा दिया जाता है।

दूसरा संज्ञेय अपराध होता है। गंभीर मारपीट, रेप, गोली चलाना एवं किसी का सर या हाथ पैर तोड़ देना संज्ञेय अपराध की कैटेगरी में आता है। इस तरह का केस गंभीर होता है और पुलिस इसे गंभीरता से लेती है तथा इसमें FIR भी दर्ज किया जाता है और आगे की कार्रवाई भी की जाती है।

झूठी F.I.R होने पर क्या करें

गांव में ऐसा अक्सर होता है की दो गुटों के बीच मारपीट होती है और कोई तीसरा जिसका इस मामले से कोई संबंध नहीं होता है उसका नाम FIR में डाल दिया जाता है। इससे बचने के लिए कुछ नियम और कानून भी है जिसका उपयोग कर हम झूठी FIR से बच सकते हैं।

आपके पास कोई ना कोई ऐसी सबूत जरूर होगी जो यह दर्शाता है कि आप मामले में लिप्त नहीं थे। यह सीसीटीवी फुटेज, आपके फोन का लोकेशन, कोई गवाह या इस तरह की कोई चीज हो सकती है। सबसे पहले आप सबूत के साथ DSP या SP कार्यालय में संपर्क करें। इन अधिकारियों के पास no arresting की पावर होती है जिससे आप की गिरफ्तारी रोकवा सकता है।

दूसरा ऑप्शन यह होता है की आप वकील के माध्यम से अग्रिम जमानत ले ले। अगर आप नो अरेस्टिंग या बिना अग्रिम जमानत के बाहर घूम रहे हैं तो ऐसे में पुलिस आपको पकड़ लेगी और जेल में डाल देगी। नो अरेस्टिंग और अग्रिम जमानत लेने के बाद आपको यह साबित करना होगा कि आप निर्दोष है इसके लिए दो रास्ते हो सकते हैं।

Compromise – पहला रास्ता यह हो सकता है कि एफ आई आर दर्ज कराने वाले से कंप्रोमाइज करें। बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो किसी के बहकावे में आकर झूठी एफ आई आर दर्ज करा देते हैं तो ऐसे में आपको पहले इस तरह का प्रयास करना चाहिए। अगर वह केस निपटारे के लिए राजी हो जाता है तब तो सही है लेकिन अगर इससे भी बात नहीं बनती है तो दूसरा रास्ता अपना सकते हैं।

High court CrPC 482 – अगर FIR दर्ज कराने वाले व्यक्ति से कंप्रोमाइज नहीं हो रही है तो आप हाईकोर्ट की शरण ले सकते हैं। आप एक वकील को hire कीजिए वह आपके सारे डिटेल्स को तैयार कर देगा और बताएगा कि निर्दोष साबित करने के लिए क्या क्या डॉक्युमेंट्स होना जरूरी है आप उन डॉक्यूमेंट को इकट्ठा कर लीजिए एवं हाई कोर्ट पहुंच जाइए। हाई कोर्ट के पास बहुत पावर होती है वह हर मामले को गंभीरता से जांच करवा सकता है अगर आप निर्दोष पाए जाते हैं तो आप पर से झूठ की FIR की धारा निरस्त कर दी जाएगी। आपके पास यह अधिकार भी होता है कि आप उल्टा सीआरपीसी 500 धारा के तहत मानहानि एवं सीआरपीसी धारा 211 के तहत फसाए जाने एवं समय बर्बाद करने का मुकदमा चला सकते हैं।

नौकरी पर असर

In job

अगर आप नौकरी में कार्यरत है और आप पर संगीन अपराध के जुर्म में FIR दर्ज कर दिया जाता है तो सबसे पहले आपको सस्पेंड कर दिया जाएगा क्योंकि यह भय बना रहता है कि आप अपने पद का दुरुपयोग कर सकते हैं। झूठी FIR दर्ज होने पर आप ऊपर बताए गए स्टेप्स को फॉलो कर आसानी से बच सकते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है की व्यक्ति खुद को निर्दोष साबित नहीं कर पाता है एवं उसको सजा सुना दी जाती है। अगर जिला अदालत द्वारा आपको सजा सुना दिया जाता है तो आप टाइम पीरियड लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं। आप इस समय तक सस्पेंड ही रहेंगे। अगर हाईकोर्ट भी जिला अदालत के फैसले पर सहमत है तो आपकी नौकरी जाने की संभावना हो जाती है लेकिन इसके बावजूद भी आप सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। निर्दोष साबित हो जाने पर कुछ प्रक्रिया होती है जिसके द्वारा सस्पेंड में काटी गई राशि मिल सकती है।

Student

अगर आप स्टूडेंट है और आप पर झूठी FIR कर दिया गया तो ऊपर बताए स्टेप्स को फॉलो कर खुद को निर्दोष साबित कर सकते हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि अपने फॉर्म डाल दिया हो और फिर आपके ऊपर एफ आई आर दर्ज हो गया हो तो ऐसे में केस चलता रहेगा लेकिन जॉइनिंग के समय आपको हलफनामा देना होगा और नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं। लेकिन केस आप पर चलता रहेगा। आपको सिलसिलेवार पूरी प्रक्रिया के द्वारा खुद को निर्दोष साबित करने का समय मिल जाएगा और आप पूरी प्रक्रिया को आसानी से फॉलो कर सकते हैं।

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