H-1B वीजा क्या होता है, अमेरिका नौकरी हेतु जाने वालों के लिए H-1B वीजा के बारे में पूरी जानकारी

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देश से बाहर किसी अन्य देश में जाने के लिए हमें दो चीजों की जरूरत पड़ती है पहला पासपोर्ट और दूसरा वीजा। पासपोर्ट तो अपने देश में आसानी से बन जाता है लेकिन वीजा के लिए जिस देश में जाना होता है वहां अप्लाई करना पड़ता है। वीजा एक तरह का परमिशन लेटर होता है जो कोई देश अपने देश में विदेशी लोगों के आने के लिए परमिशन देता है।

इंडिया भी अपने यहां आने वाले विदेशी लोगों के लिए कई तरह की वीजा जारी करता है जैसे टूरिस्ट वीजा, बिजनेस वीजा, एंप्लॉयमेंट वीजा, स्टूडेंट वीजा, ट्रांसिट वीजा, जर्नलिस्ट वीजा, मेडिकल वीजा इत्यादि।

इसी तरह अमेरिका भी आईटी और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को विदेश से हायर करने के लिए एक प्रकार का विशेष वीजा जारी किया जाता है जिसे H-1B वीजा कहते हैं। आइए जानते हैं H-1B वीजा के बारे में कुछ खास बातें जैसे यह वीजा किसे मिलता है, कितने समय के लिए वैलिड होता है, इसके लिए कौन-कौन आवेदन कर सकते हैं तथा कहां आवेदन करना होता है।

H-1B वीजा क्या है?

H-1B एक गैर प्रवासी वीजा है जो अमेरिका द्वारा आईटी और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विदेशों से कुशल कर्मचारियों को हायर करने के लिए जारी किया जाता है। अमेरिका में जब आईटी और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कर्मचारियों की कमी हो जाती है तो वह विदेशों से इस वीजा के द्वारा कुशल कर्मचारियों को हायर करता है।

H-1B वीजा के तहत अमेरिका में बसने का रास्ता आसान हो जाता है। H-1B वीजा धारक 5 साल के बाद अमेरिका की स्थाई नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस वीजा की मांग बहुत ज्यादा है इसलिए इसे लॉटरी सिस्टम के तहत जारी किया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक इस वीजा के तहत 50 परसेंट से अधिक कर्मचारी भारतीय ही हायर किए जाते है।

अमेरिका में भारत की आईटी कंपनियां जैसे टीसीएस, विप्रो, इंफोसिस, टेक महिंद्रा, आदि सहित 50 से ज्यादा कंपनियां काम करती है। इन कंपनियों के द्वारा भारत से कर्मचारियों को बहाल करने के लिए अमेरिका में H-1B वीजा अप्लाई किया जाता है। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियां भी अपने यहां भारतीयों को हायर करने के लिए h1b वीजा के लिए अप्लाई करती है।

H-1B वीजा प्राप्त करने की क्या प्रक्रिया है।

h1b वीजा प्राप्त करने की दो प्रक्रिया है। पहला नियमित प्रक्रिया और दूसरा प्रीमियम प्रक्रिया।

नियमित प्रक्रिया

यह h1b वीजा प्राप्त करने की लंबी प्रक्रिया है इसमें 1 महीने से लेकर 6 महीने तक का समय लग सकता है। अमेरिकी सरकार द्वारा h1b वीजा देने के लिए एक बड़ी शुल्क लेती है। यह शुल्क स्थाई नहीं होता है समयानुसार इसमें काफी वृद्धि भी देखने को मिली है।

प्रीमियम प्रक्रिया

h1b वीजा प्राप्त करने की यह तेज विधि है। इसमें कम समय लगता है लेकिन अमेरिकी सरकार द्वारा तय शुल्क के अलावा 1225 डॉलर लिए जाते हैं।

H-1B वीजा  की शुरुआत

h1b वीजा की शुरुआत 1990 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज ब्रूस द्वारा किया गया। इस वीजा के तहत विदेशों से कर्मचारियों को हायर करने की एक सीमित संख्या रखी गई जो शुरुआत में 65000 थी और यह 2000 में बढ़कर 3 सालों के लिए 195000 हो गई वही 2004 में घटकर फिर 65000 हो गई। अमेरिकी सरकार द्वारा समय-समय पर आवश्यकतानुसार h1b वीजा की संख्या को बढ़ाया या घटाया जाता रहा है।

अमेरिका में h1b वीजा का विरोध क्यों होता है

h1b वीजा को लेकर अमेरिकी लोग हमेशा विरोध करते आ रहे हैं। उनका मानना है कि विदेशों से कर्मचारियों को हायर करने पर मूल अमेरिकी लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है एवं दिन प्रतिदिन वे बेरोजगार होते जा रहे हैं। इसके साथ ही अमेरिकी लोगों का या अभी तक है की अमेरिकी कंपनियां विदेशों से सस्ते सैलरी पर कर्मचारियों की भर्ती कर रही है जिससे उनकी खुद की सैलरी पर काफी प्रभाव देखने को मिलता है।

h1b वीजा अमेरिका में एक राजनीतिक मुद्दा बन गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में h1b वीजा एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। समय-समय पर होने वाले चुनाव में h1b वीजा को लेकर अलग-अलग नेताओं द्वारा भाषणों में इसका हमेशा से जिक्र रहता है।

H-1B वीजा  को लेकर भारत की क्या चिंता है

एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका द्वारा विदेशी कर्मचारियों को हायर करने के लिए जारी किए गए कुल h1b वीजा के तहत केवल 60 परसेंट कर्मचारी भारत से ही हायर किए जाते हैं। ऐसे में भारतीय कर्मचारियों के द्वारा एक बहुत बड़ी राशि अमेरिका से भारत भेजे जाते हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अगर अमेरिका h1b वीजा पर प्रतिबंध लगाता है तो इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर पड़ेगा।

निष्कर्ष

h1b वीजा अमेरिका द्वारा विदेशों से आईटी एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कुशल कर्मचारियों को हायर करने के लिए 3 या 6 साल के लिए जारी किया जाता है। इस वीजा में भारतीयों की महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। अमेरिका में काम करने वाले भारतीय कर्मचारियों के द्वारा भारत को एक बड़ी राशि भेजी जाती है जो हमारे आर्थिक विकास में विशेष योगदान देता है। अमेरिका में अमेरिकी लोगों द्वारा इस वीजा को लेकर हमेशा से विरोध जताया जाता रहा है। अमेरिकी लोगों का मानना है की इस वीजा के तहत विदेशी लोग अमेरिका में कम सैलरी पर काम करते हैं जिससे उनकी सैलरी पर भी प्रभाव पड़ता है और उनके रोजगार में कमी भी देखी जाती है।

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