What is IPO? IPO Full Form – IPO कैसे ख़रीदे और इसके क्या फायदे और नुकसान है?

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IPO: आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की IPO क्या होता है, IPO कितने प्रकार का होता है, कोई कंपनी IPO क्यों जारी करती है,IPO में निवेश कैसे किया जाता है तथा कोई कंपनी शेयर का अलॉटमेंट कैसे करती है एवं आईपीओ से संबंधित और भी बहुत कुछ।

आईपीओ (IPO) क्या होता है?

जब किसी कंपनी को अपना बिजनेस और आगे बढ़ना होता है तो उसे और फंड की जरूरत होती है ऐसे में उसे फंड जुटाने के लिए दो विकल्प होते हैं पहला वह मार्केट से या किसी निजी व्यक्ति से कर्ज ले जिसे debt financing कहते हैं या फिर अपने शेयर बेचकर सार्वजनिक रूप से फंड इकट्ठा करें जिसे equity financing कहते हैं।

अधिकतर कंपनियां दूसरे विकल्प को चुनती है क्योंकि इसमें नुकसान जोखिम भी शेयर धारकों में बट जाता है। इस प्रकार जब कोई कंपनी स्टॉक मार्केट में प्रवेश करने के लिए अपना शेयर सार्वजनिक करती है इसे उस कंपनी का IPO (initial public offering) कहते हैं।

जब कोई कंपनी पहली बार अपना आईपीओ लाती है तो उसकी प्रक्रिया शेयर मार्केट से थोड़ा अलग होती है जिसमें हम अपनी मर्जी से जितने चाहे उतनी शेयर नहीं खरीद सकते हैं बल्कि उसे कंपनी द्वारा शेयर्स को लाट (एक लाट में आमूमन 50 से 100 शेयर होते हैं) में जारी किया जाता है और हम शेयर्स के कितने भी लाट खरीद सकते हैं। लेकिन कंपनी जब अच्छी होती है तो उसके एक-दो लॉट मिलने भी मुश्किल हो जाते हैं।

IPO की प्रक्रिया क्या है?

मान लीजिए कोई 10000 करोड रुपए कंपनी है और उसे अपने 20% यानी 2000 करोड रुपए के आईपीओ जारी करती है एवं प्रत्येक शेयर की कीमत 200 रुपए निर्धारित करती है तो उसे 10 करोड़ शेयर जारी करने होंगे। यदि 50 शेयरों का एक लाट निर्धारित करती है तो एक प्रत्येक लाट की कीमत ₹10000 होंगे और आप ₹10000 में कंपनी के एक लाट खरीद सकते हैं।

Types of IPO (आईपीओ के प्रकार)

आईपीओ दो प्रकार के होते हैं।

  1. Fixed price ipo – इस तरह के आईपीओ में लाट में शेयर की संख्या निर्धारित होते हैं एवं उनके मूल्य भी निर्धारित होते हैं जैसा कि ऊपर दिखाया गया है।
  2. Book building price – इस तरह के आईपीओ में लॉट में शेयर की संख्या तो निर्धारित होते हैं लेकिन उनके प्राइस निर्धारित नहीं होते हैं। इसमें एक शेयर की न्यूनतम एवं अधिकतम मूल्य निर्धारित किए जाते हैं लेकिन न्यूनतम और अधिकतम मूल्य में 20% से अधिक का अंतर नहीं होता है (200-220)। आप अधिकतम और न्यूनतम निर्धारित मूल्य के बीच किसी भी प्राइस को सेलेक्ट करके शेयर्स के लाट को बुक कर सकते हैं।

किसी भी कंपनी के IPO में शेयर्स को बुक करने के लिए 3 दिन का समय दिया जाता है। इस दौरान आप शेयर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

IPO में निवेशकों के प्रकार

निवेश के आधार पर निवेशकों को तीन कैटेगरी में रखा जाता है।

  1. QIB (qualified institutional buyers) – ये बड़े एवं संस्थागत निवेशक होते हैं जिनके लिए 50% से अधिक कोटा रिजर्व होता है। जैसे कोई इंश्योरेंस कंपनी, बैंक इत्यादि।
  2. NII (non-institutional investors) – वैसे लोग जो 2 लख रुपए से अधिक का निवेश करते हैं उन्हें इस कैटेगरी में रखा जाता है। इनके लिए लगभग 15% का कोटा होता है।
  3. Retail buyer – इन्हें सामान्य निवेशक कहा जाता है जो शेयर्स के एक लाट या उससे अधिक खरीद सकते हैं। इन्हें लगभग 35% का कोटा प्राप्त होता है।

क्या होता है IPO ओवरसब्सक्राइब्ड होना?

कंपनी के शेयर्स की बुकिंग के लिए तीन दिनों का समय निर्धारित किया जाता है और इसी बीच निवेशकों को शेयर्स बुक करने के लिए अप्लाई करने होते हैं। मान लीजिए कोई कंपनी 2000 करोड़ रुपए का आईपीओ जारी करते हैं और निवेशकों की संख्या बढ़ने के कारण निवेश की राशि 2000 करोड रुपए से अधिक हो जाती है तो इसे आईपीओ का ओवरसब्सक्राइब्ड होना कहा जाता है।

कभी-कभी यह तो दो गुना, तीन गुना, चार गुना यहां तक की पांच गुना तक भी पहुंच जाता है तो ऐसी स्थिति में बहुत से निवेशकों को शेयर नहीं मिल पाता है। बुकिंग की प्रक्रिया समाप्त होने के सात दिन बाद कंपनी स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाती है और जिन निवेशकों को कंपनी का शेयर नहीं मिल पाता है उन्हें उनकी धनराशि लौटा दी जाती है। कंपनी के शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाने के बाद आप उसके कितने भी शेयर खरीद बेच सकते हैं।

क्या है IPO में निवेश करने के फायदे

किसी भी कंपनी के द्वारा आईपीओ लाने का उद्देश्य अपने व्यापार को विस्तार देना या फिर कर्ज को चुकाना होता है। यदि कोई कंपनी अपने बिजनेस को विस्तार देने के उद्देश्य से आईपीओ लाती है इसका सीधा सा मतलब है कंपनी का ग्रोथ स्टेटस बेहद अच्छा है और इसका प्रॉफिट से सीधे संबंध है ऐसे में इन कंपनियों के आईपीओ में निवेश करना फायदे का सौदा हो सकता है।

कंपनी के आईपीओ में निवेश करने के लिए 3 दिन का समय होता है और सातवें दिन स्टॉक मार्केट में लिस्ट हो जाने के बाद कंपनी का शेयर सार्वजनिक हो जाता है ऐसे में यह देखा जाता है कि केवल 10 दिनों के अंदर ही शेयर की प्राइस में बेहद बढ़ोतरी देखी जाती है और कम ही दिनों में निवेशकों को अच्छा प्रॉफिट हो जाता है इसलिए कंपनीयों के स्थिति को भापते हुए आईपीओ मे निवेश एक अच्छा प्रॉफिट दे जाता है।

उम्मीद है हमारे इस ब्लॉग से आईपीओ क्या होता है, आईपीओ के प्रकार, किसी कंपनी के आईपीओ लाने का उद्देश्य, आईपीओ लाने की प्रक्रिया तथा निवेश से संबंधित तमाम जानकारियां आपके लिए मददगार साबित होंगे।

प्रश्न– IPO क्या होता है?

उत्तर- जब कोई प्राइवेट कंपनी अपने बिजनेस को विस्तार देने के लिए पहली बार शेयर मार्केट में प्रवेश करती है और अपने शेयरों की बिक्री शुरू कर देती है तो उसे उसे कंपनी का आईपीओ कहते हैं।

प्रश्न– IPO कितने प्रकार का होता है।

उत्तर – आईपीओ दो प्रकार का होता है पहला fixed price ipo एवं दूसरा Book building IPO.

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