क्या होता है सुपरनोवा, यह पृथ्वी को कैसे प्रभावित करता है और कैसे बनता है?

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Supernova: किसी भी तारे में ऊर्जा और चमक का स्रोत नाभिकीय संलयन (nuclear fusion) होता है। इस संलयन में हाइड्रोजन के अणु मिलकर हीलियम का निर्माण करते हैं और ऊष्मा एवं प्रकाश का उत्सर्जन होता है। सूर्य में भी वही प्रक्रिया होती है हाइड्रोजन के अणु मिलकर हीलियम का निर्माण करते हैं और हमें ऊष्मा एवं प्रकाश मिलता है।

सुपरनोवा क्या होता है?

वैसे तो किसी भी तारे में प्रकाश एवं ऊष्मा का स्रोत हाइड्रोजन के अणु है जिसके मिलने से हीलियम एवं प्रकाश तथा ऊष्मा का उत्सर्जन होता है। लेकिन क्या आपने सोचा है अगर किसी तारे का संपूर्ण हाइड्रोजन के अणु एक साथ मिल जाए तो क्या होगा?  दरअसल सुपरनोवा भी इसी प्रकार की एक घटना है।

किसी तारे के पूर्ण हाइड्रोजन जब एक न्यूनतम समय में नाभिकीय संलयन करते हैं तो उस तारे के (ऊर्जा) चमक में बेतहाशा वृद्धि देखी जाती है जो सामान्य से कई गुना ज्यादा होता है इसे संपूर्ण विस्फोट या सुपरनोवा कहा जाता है। अगर सामान्य शब्दों में कहा जाए तो एक तारे के ऊर्जा में सामान्य से कोई गुणा वृद्धि सुपरनोवा कहलाती है।

नोवा (nova) क्या होता है?

सुपरनोवा की तरह ही किसी तारे के ऊपरी सतह के एक हिस्से में जब सारे हाइड्रोजन एक न्यूनतम समय में नाभिकीय संलयन करते हैं तो भी सामान्य से कई गुना ज्यादा ऊर्जा निकलती है जिसे आशिक विस्फोट या नोवा कहते हैं।

सुपरनोवा एवं नोवा पृथ्वी को कैसे प्रभावित करते है?

ब्रह्मांड में ग्रह, तारे, उपग्रह, क्षुद्र ग्रह अपने कक्षा में चक्कर लगाते रहते हैं। पृथ्वी के परिक्रमण के दौरान कभी-कभी सुपरनोवा या नोवा इसके करीब आ जाता है फलस्वरुप पृथ्वी के तापमान में वृद्धि देखी जाती है। यह पृथ्वी के तापमान में वृद्धि का प्राकृतिक कारण है।

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